गिर सोमनाथ जिले में अतिक्रमण हटाने के लिए ध्वस्तीकरण किया गया : गुजरात सरकार ने बताया
पारुल माधव
- 16 Oct 2024, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) गुजरात सरकार ने गिर सोमनाथ जिले में अपनी ध्वस्तीकरण कार्रवाई को बुधवार को उच्च न्यायालय के समक्ष जायज ठहराया और कहा कि यह सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए चलाया जा रहा एक अभियान है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ को गुजरात सरकार ने बताया कि उसके प्राधिकारियों की तरफ से शीर्ष अदालत के 17 सितंबर के आदेश की न तो जानबूझकर अवज्ञा की गई है और न ही कोई उल्लंघन किया गया है।
शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को पारित आदेश में बिना उसकी अनुमति के आरोपियों की संपत्ति सहित किसी भी संपत्ति को ध्वस्त किए जाने पर रोक लगा दी थी। उसने कहा था कि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी मामला संविधान के “मूल सिद्धांतों” के खिलाफ है।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकायों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों पर निर्मित अवैध ढांचों पर लागू नहीं होगा।
गिर सोमनाथ के जिला अधिकारी की ओर से दायर एक हलफनामे में गुजरात सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को स्पष्ट रूप से कहा था कि ध्वस्तीकरण पर रोक “सार्वजनिक जगहों” और सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण पर लागू नहीं होगी।
सरकार ने कहा कि 17 सितंबर के आदेश के तहत “सार्वजनिक जगहों” में खासतौर पर “जल निकाय” शामिल हैं।
उसने कहा, “मौजूदा मामले में यह सम्मानपूर्वक बताया जाता है कि इस न्यायालय द्वारा व्यापक जनहित में लागू किए गए उक्त अपवाद को ध्यान में रखते हुए प्रतिवादी प्राधिकारियों ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने की कवायद जारी रखी।”
भूमि का मलिकाना हक दर्शाने वाले राजस्व रिकॉर्ड का हवाला देते हुए गुजरात सरकार ने रेखांकित किया कि अतिक्रमण एक जल निकाय-अरब सागर से सटी सरकारी भूमि पर किया गया था, इसलिए उसकी कार्रवाई शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित अपवादों के अंतर्गत थी।
उसने कहा, “सभी चरण की ध्वस्तीकरण कार्रवाई कानून में निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई... यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उपर्युक्त याचिका में याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों द्वारा किए गए कार्य को सांप्रदायिक रंग दिया।”
गुजरात सरकार ने दावा किया कि गुजरात प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने वाली सुम्मास्त पाटनी मुस्लिम जमात ने “गंदी नियत” से अदालत का रुख किया है।
उसने कहा, “28 सितंबर को प्रभास पाटन जिले में पांचवें चरण की ध्वस्तीकरण कार्रवाई के तहत लगभग 102 एकड़ सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाया गया, जिसका बाजार मूल्य करीब 320 करोड़ रुपये है।”
शीर्ष अदालत ने चार अक्टूबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात के अधिकारियों को राज्य में विध्वंसीकरण कार्रवाई के संबंध में चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उसे ऐसा लगा कि उन्होंने ऐसी कार्रवाई के खिलाफ उसके हालिया आदेश की अवमानना की है, तो वह उनसे संरचनाओं को बहाल करने के लिए कहेगी।
हालांकि, पीठ ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर के पास विध्वंसीकरण पर यथास्थिति का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
भाषा पारुल