भारत-कनाडा के बीच विवाद बढ़ा, नयी दिल्ली ने ओटावा के ताजा आरोपों को सिरे से खारिज किया
वैभव अविनाश
- 15 Oct 2024, 10:02 PM
- Updated: 10:02 PM
नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद मंगलवार को और गहरा गया जब ओटावा ने मामले में कुछ निष्कर्षों के मद्देनजर भारत के खिलाफ संभावित प्रतिबंधों का इशारा किया और नयी दिल्ली ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
कनाडा के अधिकारियों ने बिश्नोई गिरोह को कनाडा में हिंसक आपराधिक गतिविधियों सहित गुप्त अभियानों को अंजाम दिए जाने में भारत सरकार के एजेंटों के साथ जोड़ने का भी प्रयास किया और आरोपों के समर्थन में स्पष्ट सबूत होने का दावा किया।
दोनों देशों में तनाव बढ़ने के बीच कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत के खिलाफ पाबंदी लगाने की संभावना को खारिज नहीं किया और कहा कि ‘‘सभी विकल्प विचाराधीन हैं’’।
संबंधित घटनाक्रम में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर से फोन पर बातचीत की और उस मुद्दे से जुड़े घटनाक्रम पर चर्चा की जिसे कनाडा भारत सरकार से जुड़े एजेंटों द्वारा कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान बताता है।
भारत ने कनाडा में आपराधिक गिरोहों से भारतीय एजेंटों को जोड़ने के कनाडाई अधिकारियों के प्रयासों को पुरजोर तरीके से खारिज कर दिया। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ओटावा का यह दावा सच नहीं है कि उसने निज्जर मामले में नयी दिल्ली के साथ साक्ष्य साझा किए थे।
सूत्रों ने कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि भारत, कनाडा में कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाते हुए गुप्त अभियान चलाने सहित कई गतिविधियों में संलिप्त था।
ट्रूडो ने एक संवाददाता सम्मेलन में निज्जर मामले में भारत पर उंगली उठाते हुए कहा कि कनाडा अपनी धरती पर अपने नागरिकों को धमकाने और मारने में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत ने सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और सिख चरमपंथी निज्जर की हत्या की जांच से अपने राजनयिक को जोड़ने के कनाडा के आरोपों को खारिज करने के बाद वहां से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की घोषणा की।
जोली ने प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में भारत के खिलाफ आगे और कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज वाकई एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। आप यदि हमारे पास उपलब्ध विकल्पों को देखें तो राजनयिकों को निष्कासित करना वियना समझौते के तहत किसी देश द्वारा उठाए जा सकने वाले सबसे कठोर कदमों में से एक है। हर विकल्प पर विचार हो रहा है।’’
पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।
निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया।
कनाडा की सार्वजनिक प्रसारणकर्ता कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (सीबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, देश के राष्ट्रीय पुलिस बल रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) के प्रमुख ने भारत के संदर्भ में चौंकाने वाले आरोप लगाए कि भारत सरकार के एजेंट कनाडा में हत्याओं सहित ‘‘व्यापक हिंसा’’ में भूमिका निभा रहे हैं और चेतावनी दी थी कि इससे ‘‘देश की सार्वजनिक सुरक्षा को गंभीर खतरा’’ है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इनमें गोपनीय सूचना जुटाने की तकनीक, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को निशाना बनाकर उनके साथ दंडात्मक व्यवहार करना और हत्या सहित एक दर्जन से अधिक धमकी भरे और हिंसक कृत्यों में संलिप्तता शामिल है।’’
कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के साथ काम करने के उनकी सरकार के प्रयास के कोई परिणाम नहीं निकले।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, इस सप्ताहांत, कनाडाई अधिकारियों ने एक असाधारण कदम उठाया। उन्होंने आरसीएमपी के उन साक्ष्यों को साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि भारत सरकार के छह एजेंट आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति हैं।’’
ट्रूडो ने कहा, ‘‘और भारत सरकार से बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्होंने सहयोग नहीं करने का फैसला किया। भारत सरकार अब भी सहयोग नहीं कर रही, इसे देखते हुए मेरी सहयोगी विदेश मंत्री मेलानी जोली के पास केवल एक विकल्प था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज (सोमवार) उन्होंने इन छह व्यक्तियों के लिए निर्वासन नोटिस जारी किया। उन्हें कनाडा छोड़ना होगा। वे अब कनाडा में राजनयिक के रूप में काम नहीं कर पाएंगे, न ही किसी भी कारण से कनाडा में दोबारा प्रवेश कर पाएंगे।
उधर, रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने आरोप लगाया है कि बिश्नोई गिरोह के तार भारत सरकार के उन ‘एजेंटों’ से जुड़े हैं, जो देश में दक्षिण एशियाई समुदाय, विशेष रूप से ‘खालिस्तान समर्थक तत्वों’ को निशाना बना रहे हैं।
भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि कनाडाई अधिकारियों का यह दावा सच नहीं है कि कनाडा ने निज्जर मामले में भारत को प्रामाणिक सबूत दिए हैं।
सूत्र ने कहा, ‘‘सभी कनाडाई अधिकारियों का मुख्य दावा यह है कि भारत को प्रामाणिक सबूत पेश किए गए हैं। यह बात उनके प्रभारी राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर्स ने भी प्रेस के सामने दोहराई। सीधी सी बात है कि यह सच नहीं है।’’
उसने कहा, ‘‘बहुत पहले से कनाडा की कोशिश बे सिर-पैर के आरोप लगाने की रही है।’’
सूत्रों ने भारतीय एजेंटों को बिश्नोई गिरोह से जोड़ने के आरसीएमपी के प्रयासों को भी खारिज कर दिया।
सूत्रों ने कहा कि आरसीएमपी की प्रेस ब्रीफिंग में कुछ लोगों के भारत से संबंधों के बारे में दावे किए गए, लेकिन किसी भी मामले में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई।
सूत्रों के अनुसार लोगों को जवाबदेह ठहराने के बारे में भी बात हुई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किसके बारे में बात हो रही है।
सूत्रों ने ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त पर निशाना साधने के लिए भी कनाडा की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि कितनी बेतुकी बात है कि पिछले एक साल में उच्चायुक्त के साथ अत्यधिक कामकाज के बाद कनाडा की सरकार अब उन पर निशाना साध रही है।
इस बीच कनाडा की अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास मंत्री मैरी एंग ने कनाडा के कारोबारी समुदाय को आश्वासन दिया कि ओटावा दोनों देशों के बीच भलीभांति स्थापित वाणिज्यिक संबंधों का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘कनाडा कानून व्यवस्था के आधार पर स्थापित देश है और हमारे नागरिकों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आरसीएमपी के आज दिए बयान के मद्देनजर हम कनाडा के लोगों की सुरक्षा के लिए और कदम उठा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझती हूं कि आज के घटनाक्रम का भारत में कारोबार कर रहे या निवेश कर रहे कनाडा के नागरिकों पर क्या असर पड़ सकता है और इस समय लोग किस तरह की अनिश्चितता को महसूस कर सकते हैं।’’
मैरी ने कहा, ‘‘मैं अपने उद्यमी समुदाय को पुन: आश्वस्त करना चाहती हूं कि हमारी सरकार कनाडा और भारत के बीच भलीभांति स्थापित वाणिज्यिक संबंधों का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’
भाषा वैभव