कांग्रेस के सामने महाराष्ट्र और झारखंड में हरियाणा के झटके से उबरने की चुनौती
हक हक धीरज
- 15 Oct 2024, 08:00 PM
- Updated: 08:00 PM
नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) लोकसभा चुनाव के बाद परवान चढ़ीं उम्मीदों पर हरियाणा की हार से ‘ब्रेक’ लगने के बाद कांग्रेस अब महाराष्ट्र और झारखंड से बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही होगी ताकि भविष्य में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ देशव्यापी स्तर के विमर्श में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।
हरियाणा की हार ने न सिर्फ उसको बड़ा झटका दिया था, बल्कि निकट भविष्य में अपने सहयोगियों के साथ मोलभाव के उसके आधार को भी कमजोर कर दिया।
यह बात दीगर है कि कांग्रेस ने ‘षड़यंत्र’ का आरोप लगाते हुए कि हरियाणा के जनादेश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
हरियाणा में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार उसके रणनीतिकारों के लिए हैरान करने वाली थी क्योंकि वे जीत तय मानकर चल रहे थे और आशा कर रहे थे कि हरियाणा में जीत के बाद महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी; वहीं अपने सहयोगियों के सामने भी उनकी स्थिति पहले से मजबूत हो जाएगी।
पार्टी का कहना है कि किसी एक चुनाव परिणाम की तुलना दूसरे से नहीं की जा सकती।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने हरियाणा की हार के बारे में पूछे जाने पर पिछले दिनों कहा था, ‘‘लोकसभा चुनाव में आपने देखा कि हरियाणा में हमारा कैसा अच्छा प्रदर्शन रहा। कभी भी किसी एक नतीजे की तुलना दूसरे नतीजे से नहीं करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘कोई यह सोचता है कि हमारे हाथ से जीत छीन सकता है तो आने वाले चुनावों में उसे जवाब मिलेगा।’’
अब कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में पहली चुनौती शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के साथ सीट तालमेल में सम्मानजनक स्थिति हासिल करना है। यही स्थिति उसके लिए झारखंड में भी होगी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर इन दिनों बातचीत जारी है।
शिवसेना (यूबीटी) सीट बंटवारे में अपनी बड़ी भूमिका के साथ महा विकास आघाडी (एमवीए) की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भी पहले घोषित करने पर जोर दे रही है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ तथा उत्तर प्रदेश के विधानसभा उप चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ सीट बंटवारा भी उसके लिए चुनौती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र और झारखंड में नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे तो आगे की उसकी राह और मुश्किल हो सकती है।
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। इसके तहत महाराष्ट्र में एक चरण में 20 नवंबर को जबकि झारखंड में दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा। दोनों राज्यों में मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाषा हक हक