खरगे के बेटे ने नागरिक सुविधा केंद्र के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटन का अनुरोध वापस लिया
शफीक नरेश
- 13 Oct 2024, 05:11 PM
- Updated: 05:11 PM
बेंगलुरु, 13 अक्टूबर (भाषा) सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष राहुल एम. खरगे ने ‘बहु-कौशल विकास केंद्र, प्रशिक्षण संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र’ स्थापित करने के लिए बेंगलुरु में पांच एकड़ जमीन के आवंटन के अपने अनुरोध को वापस ले लिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे राहुल खरगे का यह कदम कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती द्वारा मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण को 14 भूखंड वापस लौटाने के बाद आया है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले को लेकर सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और एक रिश्तेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
भाजपा के आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में भूखंड आवंटन पर सवाल उठाया और इसे ‘‘सत्ता का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों का टकराव’’ करार दिया।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने भी ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘खरगे परिवार कब से एयरोस्पेस उद्यमी बन गया कि केआईएडीबी की जमीन के लिए पात्र हो गया? क्या यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का मामला नहीं है?’’
मल्लिकार्जुन खरगे के छोटे बेटे एवं कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर एक पत्र की प्रति साझा कर बताया कि भूखंड आवंटन का अनुरोध वापस ले लिया गया है।
बीस सितंबर को कर्नाटक औद्योगिक विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में राहुल खरगे ने लिखा कि ‘‘बहु-कौशल विकास केंद्र, प्रशिक्षण संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए भूखंड आवंटन के हमारे अनुरोध को वापस ले लिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना है।
राहुल खरगे ने कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र के भीतर एक भूखंड को प्राथमिकता दी क्योंकि यह उच्च विकास वाले उद्योगों के निकट है और इससे युवाओं के लिए बेहतर अवसर सृजित होते।
उन्होंने बताया, ‘‘सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि एक निजी व्यक्ति या परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट। इसके तत्वावधान में स्थापित सभी संस्थान ‘गैर-लाभकारी’ हैं।’’
भाषा शफीक