भाजपा का दावा, ‘इंडिया’ गठबंधन में बारी-बारी से नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर हो रहा है विचार
ब्रजेन्द्र माधव
- 11 Oct 2024, 04:57 PM
- Updated: 04:57 PM
नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को दावा किया कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि लोकसभा में विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी बारी-बारी से सभी को मिले।
पार्टी ने कहा कि अगर ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी इंडिया को लगता है कि राहुल गांधी ‘पूरी कर्तव्यनिष्ठा’ के साथ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं तो उन्हें इस तरह के निर्णय के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों में कई नेता हैं जो विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम हैं लेकिन फैसला उन्हें लेना है क्योंकि यह उनका आंतरिक मामला है।
स्वराज ने कहा, ‘‘हां बिल्कुल। मैंने भी यह सुना है कि विपक्ष के नेता के पद को बारी-बारी से करने की बात चल रही है। लेकिन मैं विनम्रता से कहूंगी कि यह विपक्ष का आंतरिक मामला है।’’
भाजपा के इस दावे पर विपक्षी दलों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को सदन में विपक्ष के नेता या नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दी जाती है जिसने सदन की कुल सीटों का कम से कम 10 प्रतिशत सीट चुनावों में जीती हो।
राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है और कांग्रेस सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है।
स्वराज ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा, ‘‘विपक्ष के दलों में ऐसे कई नेता हैं जो नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार संभालने के लिए काफी सक्षम हैं। अगर ‘इंडिया’ गठबंधन को यह लगता है कि राहुल गांधी पूरी कर्तव्यनिष्ठा से अपना पद नहीं संभाल पा रहे हैं तो यह निर्णय उन्हें लेना है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या बारी-बारी से (गठबंधन घटक दलों में से) विपक्ष का नेता बनाया जा सकता है, लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा कि सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के एक सांसद को ही विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा विपक्षी दल जिस व्यक्ति को विपक्ष का नेता नियुक्त करना चाहता है, वही उसके द्वारा चुना जाता है।
आचारी ने कहा, ‘‘इसमें न तो सरकार और न ही लोकसभा अध्यक्ष की कोई भूमिका है।’’
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष केवल उसी व्यक्ति को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता देते हैं जिसका नाम सबसे बड़े विपक्षी दल द्वारा आगे बढ़ाया जाता है।
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