प्रधानमंत्री मोदी ने लाओस के प्रधानमंत्री के साथ संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की
प्रीति दिलीप
- 11 Oct 2024, 04:50 PM
- Updated: 04:50 PM
विएंतियान (लाओस), 11 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्साय सिपानदोन ने शुक्रवार को बैठक की, जिसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर सार्थक चर्चा की गई।
लाओस जनवादी लोकतान्त्रिक गणराज्य (लाओ पीडीआर) के प्रधानमंत्री सोनेक्साय सिपानदोन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी बृहस्पतिवार को लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे थे। इस दौरान वह आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, ताकि इन समूहों के देशों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ किया जा सके।
मोदी ने 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए लाओस के प्रधानमंत्री को बधाई दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत और लाओस के बीच साझेदारी को नई गति दी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्साय सिपानदोन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से सार्थक चर्चा की, जिसमें विरासत संरक्षण और पुनरुद्धार, विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आर्थिक संबंध, रक्षा, संस्कृति और दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई।’’
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने भारत और लाओस के बीच सभ्यतागत और समकालीन संबंधों को और मजबूत करने पर सार्थक बातचीत की। उन्होंने विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आपदा प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, विरासत पुनरुद्धार, आर्थिक संबंध, रक्षा सहयोग और दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध जैसे द्विपक्षीय संबधों के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री सिपानदोन ने लाओ पीडीआर में ‘तूफान यागी’ के कारण आई बाढ़ के दौरान भारत की ओर से दी गई सहायता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।
बयान में बताया गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर भी गौर किया कि भारत की मदद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल वट फू में जारी जीर्णोद्धार और संरक्षण द्विपक्षीय संबंधों को एक विशेष आयाम प्रदान करता है।
मोदी और सिपानदोन ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।
बयान में बताया गया कि प्रधानमंत्री सिपानदोन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका की पुष्टि की। भारत ने 2024 के लिए आसियान की अध्यक्षता के लिये लाओ पीडीआर का मजबूती से समर्थन किया है।
वार्ता के बाद, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में रक्षा, प्रसारण, सीमा शुल्क सहयोग और मेकांग-गंगा सहयोग के तहत तीन त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (क्यूआईपी) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापनों/समझौते का आदान-प्रदान किया गया।
क्यूआईपी लाओ रामायण की विरासत का संरक्षण, रामायण से संबंधित भित्तिचित्रों के साथ वाट फ्रा किउ बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार और चम्पासक प्रांत में रामायण पर आधारित छाया कठपुतली थिएटर को समर्थन देने से संबंधित है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि तीनों क्यूआईपी में से प्रत्येक को लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर की भारत सरकार की अनुदान सहायता प्राप्त है।
इसमें बताया गया कि लाओ पीडीआर में पोषण सुधार के लिए लगभग दस लाख अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता भी देगा।
मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति थोंगलाउन सिसोउलिथ से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी को और प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई।
जायसवाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विएंतियान में लाओ पीडीआर के राष्ट्रपति थोंगलाउन सिसोउलिथ से मुलाकात की। उन्होंने भारत-लाओ सभ्यतागत संबंधों का उल्लेख करते हुए दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी को और प्रगाढ़ करने के लिए प्रतिबद्धता जताई।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से इतर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सूक योल से भी मुलाकात की।
भाषा प्रीति