मैसुरु में विजयादशमी में भव्य दशहरा जुलूस की तैयारी
धीरज माधव
- 11 Oct 2024, 04:44 PM
- Updated: 04:44 PM
मैसुरु, 11 अक्टूबर (भाषा)महलों के शहर मैसुरु में शनिवार को ‘विजयादशमी’ के अवसर पर भव्य जुलूस की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी के साथ चामुंडी पहाड़ियों पर 10 दिवसीय प्रतिष्ठित ‘मैसूर दशहरा’ समारोह का भव्य समापन होगा।
‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा या ‘शरण नवरात्रि’उत्सव इस वर्ष भव्य रहा। इसमें कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिली तथा राजसी शान-शौकत एवं वैभव की याद ताजा हुई।
हजारों लोगों के ‘जम्बू सवारी’ के गवाह बनने की उम्मीद है। इसके तहत ‘अभिमन्यु’ नाम के हाथी के नेतृत्व में एक दर्जन सजे-धजे हाथियों का जुलूस निकलेगा। इस दौरान मैसुरु शहर और यहां के राजघराने की कुलदेवी चामुंडेश्वरी का विग्रह 750 किलोग्राम के हौदे या ‘अम्बरी’ पर रखकर जुलूस आगे बढ़ता है।
भव्य शोभायात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा भव्य अंबा विलास पैलेस परिसर से अपराह्न 1.41 बजे से 2.10 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में महल के बलराम द्वार पर ‘नंदी ध्वज’ (नंदी ध्वज) की पूजा के साथ होगी।
इस जुलूस में विभिन्न जिलों के कलाकार, सांस्कृतिक समूह और झाकियां होंगी जो अपनी क्षेत्रीय संस्कृति और विरासत को दर्शाएंगे। जुलूस करीब पांच किलोमीटर की दूरी तय करके बन्नीमंतपा में समाप्त होगा।
विभिन्न सरकारी विभागों की झांकियां भी जुलूस का हिस्सा होने की उम्मीद है जिनमें विभिन्न योजनाएं या कार्यक्रम और सामाजिक संदेश दर्शाए जाएंगे। जुलूस शुरू होने से कई घंटे पहले ही बड़ी संख्या में लोगों के जुलूस मार्ग पर कतारों में खड़े होने की उम्मीद है।
इसके बाद मुख्यमंत्री और मैसूर राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शाम करीब चार बजे शुभ मुहूर्त में हौदा में रखी चामुंडेश्वरी देवी की विग्रह पर पुष्प वर्षा कर सजे-धजे हाथियों के जुलूस को रवाना करेंगे।
राजशाही के दौरान राजा अपने भाई और भतीजे के साथ हौदा में बैठते थे। श्री जयचामाराजेंद्र वाडियार हौदा में सवारी करने वाले मैसूर के आखिरी राजा थे।
दशहरा जुलूस की परंपरा आज भी जारी है, लेकिन अब राजा की जगह मैसुरु शहर की कुलदेवी चामुंडेश्वरी के विग्रह को हौदे में स्थापित किया जाता है। यह हौदा करीब 750 किलोग्राम है और बताया जाता है कि इसका मुख्य भाग लकड़ी का बना है और उस पर 80 किलोग्राम सोना मढ़ा गया है।
भाषा धीरज