गैर मान्यता प्राप्त गांवों के लोगों को सरकारी लाभ नहीं मिल सकते: मणिपुर मंत्रिमंडल
अमित माधव
- 10 Oct 2024, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
इंफाल, 10 अक्टूबर (भाषा) मणिपुर मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को फैसला किया कि राज्य के गैर मान्यता प्राप्त गांवों में रहने वाले लोग अब मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकेंगे। यह जानकारी एक वरिष्ठ मंत्री ने यहां दी।
यह फैसला मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा यह कहे जाने के दो दिन बाद आया है कि कई अधिकारियों ने राज्य सरकार से मंजूरी लिए बिना ही अपने समुदाय के लाभ के लिए पहाड़ी गांवों को मान्यता दे दी है। उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसे गांवों के निवासियों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
कैबिनेट बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री सपम रंजन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त गांवों को ही सरकारी योजनाएं दी जाएंगी। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भी शामिल है। गैर-मान्यता प्राप्त गांवों में रहने वाले लोगों को ये (लाभ) नहीं दिए जाएंगे।’’
सरकार के प्रवक्ता रंजन ने कहा कि कोई गांव बसाकर, उसे नाम देकर उन योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘नियमों का पालन करना जरूरी है।’’
रंजन ने कहा कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 51 सूचीबद्ध एजेंडों और कुछ गैर-सूचीबद्ध एजेंडों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा, ‘‘कैबिनेट ने राज्य में अशांत क्षेत्र की स्थिति की भी समीक्षा की।’’
सरकार ने सोमवार को मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया। इसमें इंफाल घाटी के अंतर्गत आने वाले 19 पुलिस थाना क्षेत्र और असम की सीमा से लगे एक क्षेत्र शामिल नहीं होंगे।
राज्य में डेंगू की स्थिति पर रंजन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘डेंगू को नियंत्रित करने के लिए जनता के साथ समन्वित और जिम्मेदार प्रयासों की आवश्यकता है। मैं एक बार फिर दोहराता हूं, अगर हम डेंगू को हल्के में लेंगे, तो यह हम सभी के लिए गंभीर होगा।’’
उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में अब डेंगू के मामलों की संख्या कम है। रंजन ने कहा, ‘‘कल तक इंफाल और इंफाल पश्चिम जिले को मिलाकर 1,070 मामलों के साथ 1195 मामले सामने आए थे। हमने डेंगू के कारण 3/4 कीमती जानें गंवा दी हैं।’’
भाषा अमित