कांग्रेस हरियाणा में जाट समुदाय के अलावा उपेक्षित वर्गों को जोड़ने में विफल रही: जमात-ए-इस्लामी हिंद
नोमान पवनेश
- 10 Oct 2024, 08:56 PM
- Updated: 08:56 PM
नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पार्टी हाशिए पर पड़े वर्गों को साथ जोड़ने में नाकाम रही और जाटों पर ध्यान केंद्रित करने की “राजनीतिक चूक की” भारी कीमत चुकानी पड़ी।
संगठन ने एक बयान में कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजे “अप्रत्याशित” हैं और इनसे पता चलता है कि विपक्ष की भविष्यवाणियां और रणनीतियां लोगों की अपेक्षाओं से मेल नहीं खाती।
उसने कहा कि विपक्ष उचित अभियान चलाने या समावेशी दृष्टिकोण अपनाने में विफल रहा तथा उसका नागरिक समाज के साथ सहयोग और परामर्श दिखाई नहीं दिया।
जमात ने कहा, “मतदाताओं को एकजुट करने की पूरी कवायद जाट बनाम गैर-जाट को जोड़ने में बदल गई। कांग्रेस जाट समुदाय के अलावा उपेक्षित वर्गों को साथ लाने में विफल रही और उसे इस राजनीतिक चूक की भारी कीमत चुकानी पड़ी।”
संगठन ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव में लोगों की भागीदारी उत्साहवर्धक रही।
बयान के मुताबिक, जमात ने जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए उम्मीद जताई कि नई सरकार समावेशी, जनोन्मुख होगी तथा केन्द्र सरकार के सक्रिय सहयोग से आर्थिक विकास पर केन्द्रित होगी।
जमात ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्थित डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद गिरी द्वारा पैगंबर मोहम्मद के लिए की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की।
बयान में संगठन के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि मुसलमानों को भावनात्मक रूप से आहत करने के लिए इस्लाम के पैगंबर के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की जाती हैं, लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उनका मनोबल बढ़ रहा है।
बयान में ऐसे लोगों को देश में शांति और कानून-व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताते हुए जमात ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका का यह कर्तव्य है कि वे निर्णायक कार्रवाई करें और ऐसे लोगों को सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने से रोकें।
हरियाणा में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की जिससे कांग्रेस की उम्मीदें धराशायी हो गईं। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में जाति-आधारित गोलबंदी से भाजपा को फायदा हुआ, जहां कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान पिछड़े वर्गों को लुभाने के लिए जाति सर्वेक्षण का वादा किया था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसने 42 सीट जीती हैं। वहीं, अपने सहयोगियों-- कांग्रेस और माकपा के साथ वह 95 सदस्यीय विधानसभा में आसानी से बहुमत से आंकड़े तक पहुंच गई है। कांग्रेस ने छह और माकपा ने एक सीट जीती है।
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