जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल होने से विधानसभा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा:विधि विशेषज्ञ
आशीष नोमान
- 09 Oct 2024, 08:36 PM
- Updated: 08:36 PM
नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) कानूनी विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि भविष्य में केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा बहाल करने से नयी विधानसभा की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
केंद्र द्वारा राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला किए जाने पर नव-निर्वाचित जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे गए एक सवाल पर वरिष्ठ वकील और संविधान कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी ने कहा कि विधानसभा को भंग करना आवश्यक नहीं होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि विधानसभा का गठन पहले ही हो चुका है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की बढ़ती मांग के बीच आई है, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक था। नेकां-कांग्रेस गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल किया है। नेकां-कांग्रेस गठबंधन ने 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए पहले विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की।
द्विवेदी ने कहा, ‘‘विधानसभा को भंग करना आवश्यक नहीं होगा। यह राज्य विधानसभा के रूप में कार्य करना जारी रखेगी। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद मौजूदा विधानसभा में संशोधन करने वाला संसदीय कानून पर्याप्त होगा। यहां तक कि अगर जम्मू और कश्मीर के दो राज्य बनाए जाते हैं, तो प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद तीन और चार के तहत राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत होगी।’’
उच्चतम न्यायालय ने 11 दिसंबर 2023 को सर्वसम्मति से संविधान के अनुच्छेद 370 को 2019 में निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा, जिसने तत्कालीन जम्मू- कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया था। साथ ही अदालत ने सितंबर 2024 तक वहां विधानसभा चुनाव कराने और ‘‘जल्द से जल्द’’ राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया था।
इस सप्ताह की शुरुआत में शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में केंद्र को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
भाषा आशीष