डीएसपी जियाउल हक की हत्या के मामले में 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा
सं जफर जोहेब
- 09 Oct 2024, 08:16 PM
- Updated: 08:16 PM
लखनऊ, नौ अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने 2013 में उत्तर प्रदेश पुलिस के एक उपाधीक्षक की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 10 लोगों को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इस मामले में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की कथित भूमिका की भी जांच की गई।
वर्ष 2013 में प्रतापगढ़ जिले में हक की हत्या से जुड़े मामले में विशेष अदालत ने चार अक्टूबर को 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था।
विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र कुमार की अदालत ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर कुल 1,95,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
इसी अदालत ने चार अक्टूबर को मामले में आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उनकी तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया था।
न्यायाधीश ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि दोषियों ने ही अधिकारी की हत्या की है। सजा सुनाए जाने के समय सभी दोषियों को अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें वापस जेल भेज दिया।
अदालत ने जिन लोगों को दोषी ठहराया था उनमें फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं।
कुंडा क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ/डीएसपी) हक की दो मार्च 2013 को प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। हक की पत्नी परवीन आजाद ने मामले में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भी आरोप लगाए थे, हालांकि सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार दो मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई, जिसके बाद प्रधान के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। गांव में इस कदर बवाल हो रहा था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ प्रधान के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। तभी हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े।
अभियोजन पक्ष के अनुसार कि गांव वाले गोलियां चला रहे थे, जिससे डरकर सीओ की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और कुंडा के एसएसआई विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए।
हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया, इसी दौरान गोली लगने से प्रधान के छोटे भाई सुरेश यादव की भी मौत हो गई।
अभियोजन के मुताबिक सुरेश की मौत के बाद हक को घेर लिया गया और पहले लाठी-डंडों से पीट-पीटकर उन्हें अधमरा किया गया और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक रात 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और हक की तलाश शुरू हुई, आधे घंटे बाद उनका शव प्रधान के घर के पीछे पड़ा मिला।
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चार अक्टूबर को विशेष अदालत ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि एक व्यक्ति सुधीर यादव को बरी कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि अदालत ने 10 आरोपियों को हत्या, शस्त्र अधिनियम और अन्य अपराधों के तहत दोषी ठहराया था।
भाषा सं जफर