भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के मामलों में हो रही निरंतर वृद्धि: आईसीएमआर अध्ययन
आशीष धीरज
- 06 Oct 2024, 04:22 PM
- Updated: 04:22 PM
(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में पाया गया है कि रक्तप्रवाह संक्रमण (बीएसआई) पैदा करने के लिए जिम्मेदार दो प्रमुख रोगाणु आईसीयू के मरीजों में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाए गए हैं।
अस्पताल में होने वाला यह सबसे आम संक्रमण है। अध्ययन में कहा गया है कि ये दो रोगाणु क्लेबसिएला निमोनिया और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी हैं। इसके अलावा, दो अन्य रोगाणु स्टैफिलोकोकस ऑरियस और एंटरोकोकस फेसियम जो बीएसआई का कारण बनते हैं, क्रमशः एंटीबायोटिक्स ऑक्सासिलिन और वैनकोमाइसिन के प्रति प्रतिरोधी पाए गए।
आम तौर पर ये एंटीबायोटिक बीएसआई से पीड़ित नहीं होने वाले रोगियों पर काम करते हैं। आईसीएमआर की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार, बैक्टीरिया एसिनेटोबैक्टर एसपीपी वेंटिलेटर से जुड़े निमोनिया के लिए जिम्मेदार सबसे आम रोगजनक है। यह रिपोर्ट भारत में 39 अस्पतालों के नेटवर्क से जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक सामने आए रक्तप्रवाह संक्रमण, मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) और वेंटिलेटर से जुड़े निमोनिया (वीएपी) का व्यापक विवरण प्रदान करता है।
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) अध्ययन का नेतृत्व करने वाली आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि इस रिपोर्ट में शामिल अस्पताल आईसीएमआर के एएमआर नेटवर्क का हिस्सा हैं और वे अस्पताल स्वेच्छा से इसमें शामिल हुए हैं।
डॉ. वालिया ने बताया कि यूटीआई के कारण होने वाले ई. कोली और क्लेबसिएला निमोनिया तथा एसिनेटोबैक्टर बाउमानी में एंटीबायोटिक कार्बापेनम, फ्लोरोक्विनोलोन तथा तीसरी पीढ़ी के सेफलोस्पोरिन के प्रति प्रतिरोध की उच्च दर देखी गई। उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे बाद विकसित होने वाले संक्रमण को स्वास्थ्य सेवा से संबंधित संक्रमण कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों को अस्पताल में संक्रमण की रोकथाम में निवेश करना चाहिए।
पाइपरसिलिन-टाजोबैक्टम और कार्बापेनम जैसे एंटीबायोटिक पिछले सात वर्षों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी), गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) और वार्ड के मरीजों में अधिक प्रतिरोधी पाए गए हैं। इन एंटीबायोटिक का उपयोग ई कोलाई बैक्टीरिया के कारण होने वाले रक्त संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।
अस्पताल में निमोनिया जैसे संक्रमणों के मुख्य रोगजनकों में से एक, एसिनेटोबैक्टर बाउमानी में, 2022 की तुलना में सभी परीक्षण किए गए एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति संवेदनशीलता की प्रवृत्ति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है।
डॉ. वालिया ने बताया कि वर्ष 2023 में एसिनेटोबैक्टर बाउमानी में कार्बापेनम के प्रति प्रतिरोध 88 प्रतिशत दर्ज किया गया, जिससे उपलब्ध उपचार विकल्पों की उपलब्धता सीमित हो गई। उन्होंने बताया कि ओपीडी, वार्ड और आईसीयू के सभी आइसोलेट्स में कार्बापेनम के प्रति प्रतिरोध देखा गया, लेकिन आईसीयू के मरीजों में सबसे अधिक प्रतिरोध देखा गया।
उन्होंने कहा कि ओपीडी, वार्ड और आईसीयू के सभी आइसोलेट्स में कार्बापेनम के प्रति प्रतिरोध देखा गया, लेकिन आईसीयू के मरीजों में सबसे अधिक प्रतिरोध की सूचना मिली। यह 72 प्रतिशत के करीब था, जो इसे ए. बाउमानी के लिए कोलिस्टिन एंटीबायोटिक के बाद संवेदनशीलता के मामले में सबसे प्रभावी एंटीबायोटिक बनाता है।
कोलिस्टिन अंतिम विकल्प है, यह एंटीबायोटिक उन जीवाणु संक्रमणों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है, जो अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं। गत वर्षों की रिपोर्ट में बताया गया है, सी. ट्रॉपिकलिस और सी. एल्बिकेंस जैसे फंगल रोगजनक कैंडिडेमिया के प्रमुख कारण हैं, जो कि चालू वर्ष में अस्पताल में भर्ती मरीजों में फंगल रक्तप्रवाह संक्रमण का एक प्रकार है।
भाषा आशीष