झारखंड: ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर भविष्य की आकांक्षा रखते हैं छात्र
जितेंद्र सुभाष
- 06 Oct 2024, 04:06 PM
- Updated: 04:06 PM
रांची, छह अक्टूबर (भाषा) रांची के एक सरकारी स्कूल की छात्रा अंजलि सिंह यहां के शीर्ष निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों की तरह धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलती है। वह राज्य के किसी भी निजी शैक्षणिक संस्थान की तरह अपने विद्यालय में उपलब्ध विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय और डिजिटल शिक्षण उपकरण जैसी आधुनिक सुविधाओं का भी लाभ उठाती है।
अंजलि की तरह गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले हजारों छात्र-छात्राएं, जो निजी विद्यालयों की ट्यूशन फीस वहन करने में सक्षम नहीं हैं, वे ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ में इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
बरियातू स्थित ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ की छात्रा अंजलि ने कहा, ‘‘मुझे यह स्कूल इसलिए पसंद है कि यहां कक्षा में स्मार्ट बोर्ड, खेलने के लिए कई खेल, भौतिकी, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रयोगशालाएं जैसी कई आधुनिक सुविधाएं हैं, जो हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।’’
झारखंड सरकार ने राज्य के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ शुरू किया है।
मौजूदा समय में राज्य में 80 ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ हैं। इस परियोजना की शुरुआत पिछले साल दो मई को हुई थी, जिसके तहत बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की पद्धति से शिक्षा दी जाती है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 30 सितंबर को धनबाद में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘सरकारी विद्यालयों के बच्चे निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ थे लेकिन हमारी सरकार अब सरकारी विद्यालयों को उनसे बेहतर बना रही है।’’
मुख्यमंत्री ने झारखंड में ऐसे आदर्श विद्यालयों की संख्या मौजूदा 80 से बढ़ाकर 5,000 करने की घोषणा की ताकि गरीब बच्चे निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों से प्रतिस्पर्धा कर सकें।
बरियातू स्थित ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ के एक अन्य छात्र सिद्धि विनायक ने कहा, ‘‘हमारे शिक्षक हमें वीडियो दिखाकर बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं, हमारे लिए खेलकूद और पुस्तकालय तथा कई अन्य सुविधाएं भी हैं।’’
स्कूल के प्राचार्य दीपक कुमार ने बताया, ‘‘ये स्कूल उन बच्चों के लिए हैं, जो निजी विद्यालयों का खर्च नहीं उठा सकते। इस स्कूल में सभी जरूरी सुविधाओं से लेकर प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।’’
भाषा जितेंद्र