कांग्रेस की अनदेखी की वजह से पूर्वोत्तर में पनपे उग्रवादी संगठन : रीजीजू
धीरज मनीषा
- 04 Oct 2024, 05:52 PM
- Updated: 05:52 PM
(तस्वीरों के साथ)
नागपुर, चार अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासन काल के दौरान मणिपुर और अन्य राज्यों पर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से क्षेत्र में कई उग्रवादी संगठन तैयार हो गए।
केंद्रीय संसदीय एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रीजीजू ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मणिपुर की हालिया हिंसा पहली घटना नहीं है और राज्य में पूर्व में हुए जातीय संघर्षों में 500 से 800 लोगों की मौत हुई थी लेकिन केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों ने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया।
संवाददाताओं ने जब मणिपुर की हिंसा को लेकर सवाल किया तो रीजीजू ने कहा कि इसके लिए राज्य में कांग्रेस के ‘कुशासन’ को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस के लोगों ने मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर भारत पर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से कई उग्रवादी संगठनों ने जन्म लिया। पूर्वोत्तर की तरह दुनिया का ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां इतनी संख्या में उग्रवादी समूह हो।’’
रीजीजू ने दावा किया लेकिन गत 10 साल में 10 हजार उग्रवादियों ने हथियार डाला एवं आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘‘ मणिपुर में हो रही घटनाएं भारत सरकार के खिलाफ नहीं हैं। यह मेइती और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष का नतीजा है। मणिपुर में यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में नगा और मेइती समुदाय के बीच हुए संघर्षों के दौरान भी 500 से 800 लोगों की जान गई लेकिन केंद्र की तत्कालीन सरकारों ने इनपर ध्यान नहीं दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस बार जब (हिंसा की) घटनाएं हुईं तो केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) वहां चार दिनों तक रहे और प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा कि पूरा देश मणिपुर के लोगों के साथ है।’’
रीजीजू ने कहा कि माओवादियों और विदेशी ताकतों द्वारा भारत को बदनाम करने के लिए बनाई जा रही धारणा के साथ लोगों को नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मणिपुर के हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और दोनों समुदायों के बीच सालों पुराने द्वेष को दूर करने के लिए कोशिश की जा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका समाधान सेना या बंदूक के जरिये नहीं किया जा सकता। यह सही तरीका नहीं है क्योंकि मामला बिगड़ सकता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बयान दिया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) संविधान को नष्ट कर रहे हैं जबकि वह ‘मोहब्बत की दुकान’ खोल रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर रीजीजू ने कहा, ‘‘ राहुल गांधी जैसे व्यक्ति का विपक्ष का नेता बनना देश के लिए अभिशाप हैं। जिस व्यक्ति ने संविधान कभी नहीं पढ़ा, जो संविधान की भावना को नहीं समझता और जिसके पूरे परिवार ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान किया वह संविधान की बात कर रहा है जो अपने-आप में अपमान है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा संविधान को छूना भी उचित नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा व्यक्ति नेता प्रतिपक्ष है और मुझे उससे निपटना होता है...मेरे अपने एससी/एसटी और बौद्ध समुदाय के लोग राहुल गांधी का स्वागत एवं प्रशंसा करते हैं। यह शर्मनाक है जो ऐसा करते हैं। आपको ऐसा करते समय शर्म आनी चाहिए और ऐसा नहीं होना चाहिए।’’
इस लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष नामित किया है।
रीजीजू ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने से पहले दीक्षाभूमि जाकर बाबा साहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। इसी स्थान पर आंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले में ‘संविधान भवन’ का निर्माण कराया जाएगा जिसमें पुस्तकालय, छात्रावास और अन्य सुविधाएं होंगी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री ने कहा कि देश के सभी अल्पसंख्यक समुदाय उनकी नजर में समान है और वह सभी को आगे ले जाना चाहते हैं, फिर वे चाहे मुस्लिम हों, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई या पारसी हों।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उस धारणा को तोड़ना चाहता हूं कि अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय केवल मुस्लिमों के लिए है जैसा कि कांग्रेस के शासन में था।’’
भाषा धीरज