हरियाणा को भाजपा के विकासोन्मुख शासन और कांग्रेस के घोटालों के बीच निर्णय लेना होगा : रविशंकर प्रसाद
प्रशांत माधव
- 02 Oct 2024, 08:29 PM
- Updated: 08:29 PM
चंडीगढ़, दो अक्टूबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी के नेता रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि हरियाणा के लोगों को भाजपा के विकासोन्मुख 10 साल के शासन तथा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए घोटालों व भ्रष्टाचार के बीच चुनाव करना होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की हरियाणा इकाई “हुड्डा कांग्रेस” बन गयी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यहां तक कि राहुल गांधी को भी अनुमति लेकर आना पड़ा। मुझे बताया गया है कि वह (राहुल गांधी) गठबंधन (आप के साथ) की इच्छा रखते थे, लेकिन हुड्डा ने इनकार कर दिया और ऐसा नहीं हुआ। मैं यहां कांग्रेस के ‘हुड्डाकरण’ को देखकर हैरान हूं।”
प्रसाद ने दावा किया कि जब हुड्डा मुख्यमंत्री थे, तब गुरुग्राम में औद्योगिक अशांति व्याप्त थी। भाजपा नेता ने कहा, लेकिन अब “चाहे वह आईटी हो या ऑटोमोबाइल विनिर्माण, हरियाणा आगे बढ़ गया है और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “हरियाणा को स्टार्टअप्स में नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए गुरुग्राम के पास दो मॉडल हैं - आईटी विस्तार और तकनीकी उन्नति।”
प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान उनका मॉडल “भूमि सौदा और दामाद श्री मॉडल” था। उन्होंने कर्नाटक के मैसूरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन मामले का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस का भूमि सौदों से पुराना संबंध है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा चुनाव में दो बातें स्पष्ट हैं और एक है भाजपा सरकार के 10 साल बनाम हुड्डा सरकार के 10 साल। उन्होंने कहा कि हरियाणा की जनता को तय करना है कि वह कौन से 10 साल अपनाएगी।
प्रसाद ने कहा, “मैंने हरियाणा में कांग्रेस सरकार के समय में प्रचलित ‘खर्ची और पर्ची’ प्रणाली के बारे में सुना है। दूसरी ओर, भाजपा शासन में नौकरियां पूरी तरह से योग्यता के आधार पर दी गयीं।”
प्रसाद ने राज्य इकाई में कथित अंदरूनी कलह को लेकर भी कांग्रेस पर कटाक्ष किया और कहा कि मीडिया ने उनकी पार्टी की राज्य इकाई द्वारा कुमारी सैलजा के साथ किए गए व्यवहार के बारे में विस्तार से लिखा है।
उन्होंने कहा, “वह एक वरिष्ठ सांसद हैं। मैं भी एक सांसद हूं और हम दोनों केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं... अगर और कुछ नहीं तो कम से कम उनकी वरिष्ठता का सम्मान किया जाना चाहिए था।”
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