कैब चालक से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने ओला को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया
नोमान सुरेश
- 30 Sep 2024, 08:12 PM
- Updated: 08:12 PM
बेंगलुरु, 30 सितंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को ‘ओला कैब्स’ की मूल कंपनी एएनआई टेक्नोलॉजीज को उस महिला को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसका 2019 में एक यात्रा के दौरान कंपनी के एक चालक ने कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया था।
न्यायमूर्ति एम. जी. एस. कमल ने ओला की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 (पोश अधिनियम) के अनुरूप उचित जांच शुरू करने का निर्देश भी दिया।
जांच 90 दिनों में पूरी की जानी है और रिपोर्ट जिला अधिकारी को प्रस्तुत की जानी है।
इसके अतिरिक्त, एएनआई टेक्नोलॉजीज को याचिकाकर्ता के मुकदमे पर खर्च को लेकर 50,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सभी पक्षों को पोश अधिनियम की धारा 16 का पालन करना चाहिए, ताकि शामिल लोगों की पहचान गोपनीय रखी जा सके। उच्च न्यायालय ने 20 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाकर्ता उत्पीड़न का शिकार हुई थी। उसने शुरू में शिकायत के साथ ओला से संपर्क किया था, लेकिन कंपनी के आईसीसी ने बाहरी कानूनी सलाहकार की सलाह के बाद, यह कहते हुए जांच करने से इनकार कर दिया था कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय से राहत मांगी और ओला को उसकी शिकायत की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया कि कंपनी पोश दिशा-निर्देशों का पालन करे।
उन्होंने राज्य से टैक्सी सेवाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षात्मक नियम लागू करने का भी आग्रह किया।
कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि ओला एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के रूप में काम करती है, न कि केवल एक मंच है और उसे अपने चालकों की हरकतों के लिए ज़िम्मेदार होना चाहिए। हालांकि, ओला के वकील ने दलील दी कि चालक स्वतंत्र रूप से काम करने वाले व्यक्ति हैं, कर्मचारी नहीं हैं और कंपनी को श्रम कानूनों के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
भाषा
नोमान