वर्धमान समूह के चेयरमैन से सात करोड़ रुपये की ठगी
जोहेब माधव
- 30 Sep 2024, 08:11 PM
- Updated: 08:11 PM
लुधियाना, 30 सितंबर (भाषा) साइबर जालसाजों के एक अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों ने खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बताकर प्रसिद्ध वर्धमान समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस. पी. ओसवाल से सात करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
गिरोह ने उच्चतम न्यायालय की फर्जी सुनवाई, फर्जी गिरफ्तारी वारंट और डिजिटल गिरफ्तारी समेत एक विस्तृत योजना के जरिए इस वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस ने बताया कि ठगी की शुरुआत एक फोन कॉल से हुई जिसमें आरोपी ने ओसवाल को बताया कि उन्हें एक आपराधिक मामले में फंसाया गया है।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए ओसवाल से कहा कि उन्होंने मलेशिया जाने वाला एक पार्सल जब्त किया है, जिसमें 58 फर्जी पासपोर्ट, 16 डेबिट कार्ड और अन्य संदिग्ध सामग्री है, जो कथित तौर पर ओसवाल के आधार कार्ड से जुड़ी हुई हैं, लिहाजा वह मामले में प्रमुख संदिग्ध हैं।
पुलिस ने कहा कि यह जानते हुए कि ओसवाल एक प्रसिद्ध उद्योगपति हैं, गिरोह ने उनसे कहा कि यदि मामला सार्वजनिक हो गया तो उन्हें शर्मिंदगी और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पुलिस के अनुसार आरोपियों ने ओसवाल को विश्वास दिलाने के लिए वीडियो कॉल की, इस वीडियो कॉल के दौरान वे जिस जगह बैठे हुए थे, वह एक कार्यालय जैसा लग रहा था और उनके पीछे सीबीआई का लोगो लगा था।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय का गिरफ्तारी वारंट भी जालसाजी करके तैयार किया और व्हाट्सएप पर ओसवाल को भेज दिया, जिससे ओसवाल और परेशान हो गए।
पुलिस के अनुसार आरोपियों ने ओसवाल से कहा कि उन्हें बिना शारीरिक नहीं बल्कि “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” किया जाएगा ताकि यह मामला सार्वजनिक न हो।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने मुंबई में एक वकील की व्यवस्था करने का भी वादा किया जो ओसवाल को जमानत दिला सके।
इस मदद के बदले में आरोपियों ने ओसवाल को दो अलग-अलग बैंक खातों में सात करोड़ रुपए हस्तांतरित करने के लिए राजी कर लिया।
पुलिस ने बताया कि ठगों ने ओसवाल को भरोसा दिलाया कि सभी आरोपों से मुक्त होने के बाद पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
हालांकि, बाद में ओसवाल ने इस मामले पर अपने मैनेजर से बात की, जिन्हें संदेह हुआ।
पुलिस ने बताया कि प्रबंधक ने पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद ठगी का पता चला।
लुधियाना के साइबर अपराध थाने ने जांच शुरू की और असम के गुवाहाटी से अतनु चौधरी व आनंद कुमार चौधरी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने कहा इस दौरान यह पता चला कि उन्होंने ही उन खातों की व्यवस्था की थी, जिनमें पैसे डाले गए थे।
पुलिस ने आरोपियों से 5.25 करोड़ रुपये भी बरामद किए हैं। पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि मामले में शामिल पांच अन्य लोग अभी फरार हैं।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग कथित तौर पर इस तरह के घोटाले में शामिल एक बड़े नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और पुलिस बाकी अपराधियों की पहचान करने व उन्हें पकड़ने के लिए काम कर रही है।
भाषा जोहेब