दोस्त या दुश्मन? एआई और ‘ग्रीनवॉशिंग’ के साथ समस्या क्या
360इंफो जितेंद्र मनीषा
- 30 Sep 2024, 05:41 PM
- Updated: 05:41 PM
(नफीस आलम, मोनाष यूनिवर्सिटी मलेशिया)
कुआलालंपुर, 30 सितंबर (360 इंफो) कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) एक दोधारी तलवार है, जो पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ फर्जीवाड़े को भी बढ़ावा देता है।
एआई की मदद से ‘ग्रीनवॉशिंग’ के खिलाफ लड़ाई संभावित रूप से आसान हुई है।
मुश्किल से मुश्किल आंकड़ों और भावहीन एल्गोरिदम की मदद से एआई भ्रामक दावों की पहचान करने और सतत प्रयासों में प्रारदर्शिता बढ़ाकर पर्यावरण प्रदर्शन को सत्यापित करने में अहम भूमिका निभाता है।
‘ग्रीनवॉशिंग’ का मतलब है कंपनियों द्वारा अपने पर्यावरणीय सतत प्रयासों या उत्पादों को लेकर भ्रामक दावे करने का चलन बाजार में तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की इच्छा और पर्यावरण समर्थक उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या है।
अब तक, इस तरह के तौर-तरीकों को पहचानना बेहद मुश्किल था क्योंकि उनकी प्रकृति जटिल थी, जिसके कारण अक्सर नियामकों को दावों को साबित करने या नकारने में परेशानी होती थी। हालांकि यह एक ऐसा माहौल है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता अपनी अहमियत दिखाती है।
विसंगतियों की पहचान
एआई समर्थित टूल किसी भी ब्रांड के पर्यावरण से जुड़े दावों में विसंगतियों की पहचान करने के लिए भारी-भरकम डेटा, कंपनी की विस्तृत रिपोर्ट, मार्केटिंग से जुड़े दस्तावेजों और सोशल मीडिया पर मौजूद उसके सभी विज्ञापनों और प्रचार सामग्रियों का विश्लेषण कर सकता है।
नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग एल्गोरिदम कॉर्पोरेट कंपनियों की भारी भरकम रिपोर्ट में मौजूद विसंगतियों या अतिशयोक्तिपूर्ण भाषा का पता लगा सकती हैं, जिससे यह मालूम पड़ सकता है कि कंपनियां पर्यावरण से जुड़े अपने प्रयासों को लेकर कहां-कहां झूठ बोल रही हैं या फिर उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही हैं।
ये अत्याधुनिक प्रणालियां सार्वजनिक रूप से दिए गए बयानों की तुलना वास्तविक पर्यावरणीय आंकड़ों से कर सकती हैं, दावों और ऊर्जा उपयोग या उत्सर्जन जैसे वास्तविक संकेतकों के बीच विसंगतियों की पहचान कर सकती हैं।
वहीं जलवायु परिवर्तन पर नजर बनाए रखने के लिए तैयार किए गए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग वनों की कटाई, शहरी विस्तार या भूमि उपयोग परिवर्तनों पर निगरानी के वास्ते उपग्रह इमेजरी का आकलन करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा यह एआई के जरिये यह सत्यापित किया जा सकता है कि क्या किसी कंपनी की कार्य योजना उसके वादों के अनुरूप है या नहीं।
एआई उपभोक्ताओं, नियामकों और निवेशकों के लिए जटिल पर्यावरणीय आंकड़ों तक पहुंच और व्याख्या करना आसान बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकता है।
गलत सूचना का बाजार
‘ग्रीनवॉशिंग’ से जुड़ी चुनौतियों से पार पाने में एआई कई सकरात्मक तरीके सुझा सकता है लेकिन व्यापार को बेतहाशा बढ़ाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। कंपनियां एआई की मदद से अपने प्रयासों को छिपाने के लिए झूठे और फर्जी दावे तैयार कर सकती हैं।
एआई गलत और भ्रामक सूचनाओं का एक तूफान पैदा कर सकता है। ‘नेचुरल लैंग्वेज जेनरेशन’ जैसी चीजें सुनने में विश्वसनीय लगती हैं।
कंपनियां इन उपकरणों का उपयोग विभिन्न मंचों (सोशल मीडिया, प्रेस रिपोर्ट, विज्ञापन) पर हरित दावों को गढ़ने के लिए कर सकती हैं, जिससे ऐसा लगता है कि उनके पास शक्तिशाली और दमदार कार्यक्रम हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
अधिक जांच की जरूरत
पारदर्शिता और सख्त पर्यावरणीय, सामाजिक व प्रशासनिक मानकों के लिए बढ़ती उपभोक्ता मांग के कारण दुनिया भर में विनियामक निकायों ने ‘ग्रीनवाशिंग’ के तौर तरीकों की जांच तेज कर दी है।
हालांकि, उद्योगों में अलग-अलग कारकों की वजह से ‘ग्रीनवाशिंग’ से होने वाले नुकसान की सटीक गणना करना मुश्किल है लेकिन प्रमुख मामलों से महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभावों का पता जरूर चलता है।
360इंफो जितेंद्र