आर्थिक प्रगति, सामाजिक विकास तभी संभव है जब कानून का शासन कायम रहे : राष्ट्रपति मुर्मू
शफीक मनीषा
- 30 Sep 2024, 05:24 PM
- Updated: 05:24 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास तभी संभव है, जब कानून का शासन कायम रहे।
मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उनसे मुलाकात करने आए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने, न्याय सुनिश्चित करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के बिना, प्रगति एक अर्थहीन शब्द बन जाती है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘अपराध की एक श्रेणी जिस पर मैं यहां प्रकाश डालना चाहूंगी, वह है महिलाओं के विरुद्ध अपराध। हालांकि, यह एक जटिल समस्या है जिसकी जड़ें बीमार मानसिकता और सामाजिक पूर्वाग्रहों में गहरी हैं, लेकिन सबसे पहले यह एक अपराध है। इसलिए, इससे लड़ने के लिए कई स्तरों पर कार्रवाई की आवश्यकता है, लेकिन सबसे पहले पुलिस बल को इससे निपटना होता है।’’
उन्होंने कहा कि इन मामलों से निपटने वाले पुलिस अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे पीड़िताओं के प्रति असाधारण संवेदनशीलता और सहानुभूति रखें तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहें।
मुर्मू ने कहा कि पुलिस अधिकारियों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि भारत आने वाले वर्षों में नई ऊंचाई को छूने का लक्ष्य रखता है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास केवल तभी संभव है जब कानून का शासन कायम रहे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने, न्याय सुनिश्चित करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के बिना, ‘प्रगति’ एक अर्थहीन शब्द बन जाती है।’’
उन्होंने पुलिस अधिकारियों से तकनीक के प्रति जागरूक होने और अपराधियों से एक कदम आगे रहने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने आईपीएस में महिला अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि इस बैच में कुल 188 में से 54 महिला अधिकारी हैं। 28.72 प्रतिशत की दर से यह पिछले वर्ष की संख्या के साथ-साथ हाल के वर्षों के औसत से भी तेज वृद्धि है।’’
मुर्मू ने कहा कि महिला अधिकारियों की भूमिका लिंग आधारित अपराधों से निपटने से कहीं आगे तक जाती है।
राष्ट्रपति ने 76 नियमित भर्ती (2023) बैच के आईपीएस परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उनकी बढ़ती संख्या पुलिसिंग के समग्र चरित्र को बेहतर बना सकती है, पुलिस-समुदाय के संबंधों को बेहतर बना सकती है और यह राष्ट्र के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।’’
उन्होंने अधिकारियों को योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने और अपने मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ न करने की सलाह भी दी।
उन्होंने कहा ‘‘मैंने आपके कंधों पर रखी गई बड़ी ज़िम्मेदारियों के बारे में बात की है। ये कभी-कभी बहुत तनावपूर्ण हो सकती हैं। मैं इस संबंध में आपको एक सलाह देना चाहूँगी।’’
राष्ट्रपति ने कहा ‘‘अपने मानसिक स्वास्थ्य को कभी नज़रअंदाज़ न करें। योग, प्राणायाम और विश्राम तकनीकों को अभी से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें, और ये आपको अपना काम बेहतर ढंग से करने में मदद करेंगे।’’
उन्होंने कहा ‘‘आईपीएस में 'एस' का मतलब सेवा है। और सबसे ऊपर एक बात है... राष्ट्र और उसके नागरिकों की सेवा करना।’’
भाषा शफीक