एआई में जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने की क्षमता, गलत उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है: यूनेस्को के एडीजी
संतोष नरेश
- 29 Sep 2024, 04:23 PM
- Updated: 04:23 PM
(तस्वीर के साथ)
(गुंजन शर्मा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एक ऐसी तकनीक है जो आग की खोज की तरह मानव जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने की क्षमता रखती है, लेकिन अगर इसका गलत उपयोग किया गया तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकती है। यूनेस्को में शिक्षा मामले की सहायक महानिदेशक स्टेफनिया जियानिनी ने यह बात कही।
पेरिस से ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में जियानिनी, जो इटली की पूर्व शिक्षा मंत्री भी हैं, ने कहा कि प्रत्येक तकनीकी क्रांति के व्यापक सामाजिक और शैक्षणिक प्रभाव होते हैं, जिससे हमारे जीने के तरीके और हमारे सीखने के तरीके में मौलिक परिवर्तन होता है।
उन्होंने कहा कि देशों में डिजिटल विभाजन अब भी बहुत गहरा है। ऐसे में यदि नई तकनीक उचित निवेश द्वारा संचालित और समर्थित नहीं है, तो यह विभाजन और बढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने करिअर के दौरान मैंने कम से कम चार डिजिटल क्रांतियां देखी हैं जिसमें पर्सनल कंप्यूटर के आगमन से लेकर इंटरनेट का विस्तार, मोबाइल उपकरणों और सोशल मीडिया का उद्भव और चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव एआई का तीव्र और अप्रत्याशित आगमन शामिल है।
जियानिनी ने कहा कि प्रत्येक तकनीकी क्रांति के व्यापक सामाजिक और शैक्षिक निहितार्थ होते हैं, जिससे हमारे जीने के तरीके और सीखने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आता है।
उन्होंने कहा कि सभी लोगों और सभी देशों ने इन तकनीकी क्रांतियों को एक ही तरह से महसूस नहीं किया है, लेकिन हर जगह उनके द्वारा बनाई गई नई दुनिया आशा और चिंता दोनों का स्रोत रही है।
एआई की तुलना आग की खोज से करने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आग की तरह एआई से संभावित लाभ के साथ खतरे का भी जोखिम है।
शिक्षा प्रणाली में एआई के उपयोग की चुनौतियों के बारे में जियानिनी ने कहा, सबसे पहले यह देखना होगा कि डिजिटल युग के लिए कौन सी सामग्री और पाठ्यक्रम उपयुक्त हैं इसके बाद दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा मूल्यांकन प्रणाली है।
उन्होंने कहा कि पढ़ाई के परिणाम का आकलन कैसे किया जाए, यह भी एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि जो परीक्षाएं कभी हैक नहीं की जा सकती थीं, वे अब एआई अनुप्रयोगों के साथ आसानी से हैक की जा सकती हैं। दुनिया भर में छात्र ‘असाइनमेंट’ के लिए एआई का उपयोग करते हैं।
तो क्या स्कूलों और विश्वविद्यालयों को इसके उपयोग को रोकने की कोशिश करनी चाहिए? या क्या हमें मूल्यांकन को इस बात पर केंद्रित करना चाहिए कि विचारों और तर्कों को साक्ष्य के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए?
जियानिनी के अनुसार, मुख्य सवाल यह है कि क्या भविष्य के स्कूलों को शिक्षकों की आवश्यकता होगी या ‘एआई ट्यूटर’ शिक्षकों का स्थान किस तरह लेंगे?
2023 में, यूनेस्को ने पहला ‘शिक्षा और अनुसंधान में जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए मार्गदर्शन’ प्रकाशित किया, जिसमें शिक्षण और सीखने के लिए सुरक्षा और उपयुक्तता के आधार पर जेनएआई को विनियमित करने के लिए सरकारी एजेंसियों के लिए प्रमुख कार्यों का प्रस्ताव दिया गया था।
प्रस्तावित कार्रवाइयों में शामिल हैं - डेटा गोपनीयता की रक्षा करने का दायित्व, विशेष रूप से बच्चों के लिए; कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग के लिए कॉपीराइट कानूनों को अद्यतन करना और जेनेरिक एआई का उपयोग करने के लिए आयु सीमा निर्धारित करना।
जियानिनी ने कहा कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, डेटा साइंस और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में तकनीकी कौशल भविष्य में भी प्रासंगिक बने रहेंगे, लेकिन एक विरोधाभास यह भी है कि जैसे-जैसे एआई अधिक परिष्कृत और उपयोग में आसान होता जा रहा है, विशेष तकनीकी कौशल की आवश्यकता कम हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हो सकता है कि तकनीकी कौशल की आश्वयकता ना रहे, लेकिन सही सवालों को पूछकर मशीन से पूछताछ करने के लिहाज से संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक क्षमताएं अहम होंगीं।
भाषा संतोष