आईओए गतिरोध: सीईओ की नियुक्ति पर ऊषा और कार्यकारी परिषद के सदस्यों में टकराव, गतिरोध जारी
सुधीर नमिता
- 26 Sep 2024, 10:29 PM
- Updated: 10:29 PM
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा का बृहस्पतिवार को संस्था की कार्यकारी परिषद के साथ एक बार फिर टकराव हुआ जब इसके अधिकांश सदस्यों ने रघुराम अय्यर की सीईओ के रूप में नियुक्ति का एक बार फिर विरोध किया लेकिन ट्रैक एवं फील्ड की पूर्व महान खिलाड़ी ने पीछे हटने से इनकार कर दिया और उन्हें हटाने की उनकी मांग को खारिज कर दिया।
उषा द्वारा बुलाई गई बैठक का मुख्य एजेंडा पांच जनवरी को सीईओ के रूप में अय्यर की नियुक्ति का अनुमोदन करना था लेकिन यह गतिरोध के साथ समाप्त हो गई। दोनों पक्षों के अपने पहले के रुख पर अड़े रहने के कारण आने वाले दिनों में यह कड़वाहट और बढ़ने की उम्मीद है।
बैठक के बाद गुस्से में उषा ने कहा, ‘‘वे पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू करना चाहते हैं, वे नए सिरे से विज्ञापन देना चाहते हैं। यह ऐसा है जैसे कह रहे हों कि हमें यह व्यक्ति नहीं चाहिए और हम प्रक्रिया को फिर से शुरू करें।’’
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘इस प्रक्रिया (सीईओ की नियुक्ति) में दो साल लग गए और अब वे इसे फिर से शुरू करना चाहते हैं। इसके (आईओसी से) गंभीर नतीजे होंगे। यह भारत के 2036 ओलंपिक के लिए बोली लगाने और मेजबानी करने की संभावनाओं को खतरे में डाल सकता है।’’
इस पूर्व दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं इसे स्वीकार नहीं करने जा रही हूं। मैंने आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) को यह बता दिया है। मैं हार मानने वाली नहीं हूं, मैं आईओए को साफ किए बिना कहीं नहीं जा रही हूं।’’
दिलचस्प बात यह है कि आईओसी के निदेशक जिरोम पोइवी ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए और टकराव को देखा।
उषा की चेतावनियों के बावजूद बैठक में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित कार्यकारी परिषद के 10 सदस्यों ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि उन्होंने सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।
बयान में कहा गया, ‘‘सीईओ के रूप में अय्यर के अनुमोदन को मंजूरी नहीं दी गई। इसके अलावा यह निर्णय लिया गया कि सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को नई शर्तों के साथ फिर से शुरू किया जाए।’’
उन्होंने कहा कि आईओसी प्रतिनिधि ने पूरे मामले को ‘आईओए का आंतरिक मामला’ बताया और इस विषय पर ‘कोई विशेष विचार या हस्तक्षेप’ नहीं किया।
आईओए में शामिल होने से पहले अय्यर आईपीएल टीमों राजस्थान रॉयल्स और लखनऊ सुपर जाइंट्स का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग और अल्टीमेट टेबल टेनिस में भी प्रशासनिक भूमिकाएं निभाई थीं।
विद्रोह करने वाले कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने कहा, ‘‘आईओसी निदेशक की मौजूदगी में सदस्यों ने कहा कि सीईओ के विज्ञापन की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए जहां यह अनुमान लगाया गया कि अगले दो महीनों में नियुक्ति पूरी हो सकती है।’’
वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय एच पटेल, उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी देव और गगन नारंग, कोषाध्यक्ष सहदेव यादव, संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक, कार्यकारी परिषद के अन्य सदस्य अमिताभ शर्मा, भूपेंद्र सिंह बाजवा, रोहित राजपाल, डोला बनर्जी और योगेश्वर दत्त बैठक में व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे।
संयुक्त सचिव कल्याण चौबे और कार्यकारी परिषद के सदस्य हरपाल सिंह ऑनलाइन शामिल हुए।
सदस्यों ने महसूस किया कि ‘सीईओ की नियुक्ति अनिवार्य है और होनी चाहिए’ लेकिन उन्होंने इस पद के लिए अय्यर के नामांकन के खिलाफ मतदान किया।
कार्यकारी परिषद के बहुमत सदस्यों ने बयान में कहा, ‘‘एजेंडा को वोट के लिए रखा गया था, जहां व्यक्तिगत रूप से मौजूद 10 भौतिक सदस्यों और ऑनलाइन शामिल होने वाले दो सदस्यों ने एजेंडे पर अपनी असहमति व्यक्त की और सीईओ के अनुमोदन के खिलाफ 12 वोट पड़े।’’
बयान के अनुसार, ‘‘कार्यवाहक सीईओ कल्याण चौबे, जो आईओए के संयुक्त सचिव हैं, संविधान में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कर्तव्यों का निर्वहन करना जारी रखेंगे।’’
उषा ने अपनी ओर से कहा कि कार्यकारी परिषद के सदस्य अपने वादे से पीछे हट गए हैं क्योंकि उन्होंने जनवरी की बैठक में सीईओ की नियुक्ति पर सहमति जताई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘जनवरी में आयोजित कार्यकारी परिषद की बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी। मैंने उनमें से प्रत्येक से पूछा कि क्या वे सीईओ के रूप में अय्यर की नियुक्ति से सहमत हैं या नहीं। उन सभी ने कहा कि अय्यर अच्छे हैं और उनके बारे में सब कुछ ठीक है। केवल उनके वेतन पर बातचीत करनी होगी।’’
उषा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे पूछा कि उनके वेतन की निचली दर (सीमा) क्या है और उच्चतर सीमा क्या है। उन्होंने उसका (वेतन का) उल्लेख नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर उनकी (अय्यर की) नियुक्ति हुई और मैंने आईओसी और ओसीए को इसकी जानकारी दी और सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।’’
विवाद का विषय अय्यर का 20 लाख रुपये प्रति माह का वेतन और साथ ही अन्य भत्ते हैं।
उषा ने कहा कि उन्होंने बृहस्पतिवर की बैठक में अय्यर के वेतन पर फिर से बातचीत करने की पेशकश की, लेकिन कार्यकारी समिति के 12 सदस्य प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने पर अड़े रहे।
उन्होंने कहा कि नवीनतम घटनाक्रम 2036 ओलंपिक के लिए भारत की बोली लगाने की संभावनाओं को खतरे में डाल सकता है।
उषा ने कहा, ‘‘सीईओ की नियुक्ति होने के बाद ही भावी मेजबान आयोग हमारे साथ बातचीत करने के लिए सहमत हुआ, अन्यथा वे इसके लिए सहमत नहीं होते। सीईओ को बातचीत का नेतृत्व करना होगा, हमें पेशेवर रवैया दिखाना होगा, अन्यथा हम अपनी बोली कैसे पेश कर पाएंगे?’’
उन्होंने कहा कि आईओसी पेरिस ओलंपिक से पहले भी कठोर कदम उठा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
भाषा सुधीर