सरकार ने एमपॉक्स के मामलों से निपटने के लिए अस्पताल सुविधाओं को चिह्नित करने के लिए कहा
आशीष माधव
- 26 Sep 2024, 10:00 PM
- Updated: 10:00 PM
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) भारत में एमपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद केंद्र ने बृहस्पतिवार को सभी राज्यों से एमपॉक्स के संदिग्ध और पुष्ट मामलों की देखभाल के लिए अस्पतालों में सुविधाओं और प्रशिक्षित कर्मियों को चिह्नित करने के लिए कहा।
पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया था। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा कि एमपॉक्स के संदिग्ध लक्षणों वाले किसी भी रोगी के त्वचा के घावों के नमूने तुरंत निर्दिष्ट प्रयोगशालाओं को भेजे जाने चाहिए।
पुष्टि वाले नमूनों को क्लैड का निर्धारण करने के लिए जीनोम अनुक्रमण के वास्ते भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजा जाएगा।
चंद्रा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने 14 अगस्त को एमपॉक्स (जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था) रोग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया था। यह दूसरी बार है जब डब्ल्यूएचओ ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम, 2005 के तहत मंकीपॉक्स रोग से संबंधित पीएचईआईसी की घोषणा की है।
पत्र में कहा गया है कि 2022 में पिछला प्रकोप वायरस के क्लेड दो स्वरूप के कारण हुआ था। चंद्रा ने भारत में एमपॉक्स के आगे प्रसार के जोखिम को रोकने या न्यूनतम करने के लिए आवश्यक कुछ एहतियाती कदमों का जिक्र किया है। इसके तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया गया है कि वे रोग, इसके प्रसार के तरीकों, समय पर इसके बारे में सूचित करने और निवारक उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए उचित कदम उठाएं।
राज्यों को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विशेष रूप से राज्य और जिला स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा संदिग्ध और पुष्ट मामलों दोनों की देखभाल के लिए अस्पतालों में पृथक-वास सुविधाओं को चिह्नित करने और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता की भी समीक्षा करने को कहा गया है।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘एमपॉक्स के सभी संदिग्ध मरीजों को अलग रखा जाना चाहिए और संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के सख्त उपाय किए जाने चाहिए। इलाज लक्षण के आधार पर और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।’’
भाषा आशीष