हिमाचल प्रदेश: रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए ‘नेमप्लेट’ आदेश पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
यासिर अविनाश
- 26 Sep 2024, 09:53 PM
- Updated: 09:53 PM
शिमला, 26 सितंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों के लिए नाम प्रदर्शित करने को अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर राज्य सरकार के स्पष्टीकरण के बाद लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश में 90 प्रतिशत से अधिक आबादी हिंदू है।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को पत्रकारों से कहा था कि रेहड़ी-पटरी खासकर खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए अपनी दुकानों पर पहचान पत्र प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के इसी प्रकार के निर्देश से प्रेरित है।
हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
इस दौरान बहुसंख्यकों को यह घोषणा पसंद आई। शिमला में फल विक्रेता करतार ठाकुर ने कहा, ‘‘दुकानें किराए पर दे दी गई हैं और किसी को पता नहीं है कि दुकान का मालिक कौन है तथा किसने इसे किराए पर लिया है। ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी दुकानें बेच दी हैं और फिर से सड़कों पर बैठ गए हैं।’’
सब्जी विक्रेता कुलदीप ने इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि सामान बेचने वाले व्यक्ति का नाम प्रदर्शित करने में कोई बुराई नहीं होनी चाहिए।
एक अन्य रेहड़ी-पटरी विक्रेता कुरैशी ने कहा, ‘‘हम चार दशकों से यहां रह रहे हैं। शिमला एक छोटी सी जगह है, जहां हर कोई एक-दूसरे को जानता है और इसलिए पहचान पत्र दिखाना कोई समस्या नहीं है। इस पहल से नए लोगों पर नजर रखी जा सकेगी।’’
हालांकि, हमीरपुर में सब्जी और फल विक्रेता रामदीन ने कहा कि ऐसे किसी कानून की जरूरत नहीं है, जिससे उनके कारोबार को नुकसान पहुंचे।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हिंदू-मुस्लिम कलह बढ़ रहा है, इस निर्णय को लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है, यह हिंदुओं को मुसलमानों की दुकानों से दूर कर देगा।
किराना व्यापारी सीमा ने भी इसे ‘‘प्रवासी विरोधी’’ बताया और कहा कि इससे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की खाई गहरी होगी।
पिछले सप्ताह हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने रेहड़ी-पटरी विक्रेता के लिए नीति तैयार करने के लिए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की थी।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को बताया कि समिति, जिसके सदस्य विक्रमादित्य सिंह भी हैं, को अपनी सिफारिशें मंत्रिमंडल को सौंपने को कहा गया है।
भाषा यासिर