समाज में बदलाव की मांग नहीं उठी: आरएसएस पदाधिकारी ने शाखा में केवल लड़कों के भाग लेने पर कहा
शोभना अविनाश
- 25 Sep 2024, 07:14 PM
- Updated: 07:14 PM
मुंबई, 25 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने बुधवार को कहा कि जमीनी स्तर पर ऐसी कोई मांग नहीं उठी है कि शाखाओं में लड़कों के साथ ही लड़कियों को भी भाग लेना चाहिए।
आंबेकर ने कहा कि ‘‘समाज ने ऐसी कोई मांग नहीं की है।’’ उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई मांग उठती है तो संघ वर्तमान ढांचे में आवश्यक बदलाव करेगा।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख (राष्ट्रीय प्रवक्ता) आंबेकर ने यह बात यहां ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में कही।
शाखा में आरएसएस के स्वयंसेवक प्रतिदिन इकट्ठा होते हैं। वहां आयोजित होने वाले दैनिक कार्यक्रमों में व्यायाम और देशभक्ति के गीत शामिल है।
यह पूछे जाने पर कि संगठन में महिलाएं किसी बड़े पद पर क्यों नहीं हैं, उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर आरएसएस की शाखाएं केवल लड़कों के लिए हैं। लेकिन राष्ट्र सेविका समिति जो कि (आरएसएस का) एक सर्व-महिला संगठन है, 1930 के दशक से आरएसएस जैसा ही काम कर रही है। आरएसएस का मूल ढांचा है शाखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मनुष्य निर्माण और राष्ट्र निर्माण आरएसएस का मिशन है। इसलिए, शाखाओं में केवल पुरुष होते हैं, जबकि राष्ट्र सेविका समिति में महिलाएं (सदस्य के रूप में) होती हैं...अगर किसी इलाके के निवासी कहते हैं कि लड़कियां और लड़के एक साथ इसमें भाग ले सकते हैं, तो हम अपने ढांचे में आवश्यक बदलाव करेंगे। लेकिन समाज की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं उठी है।’’
मणिपुर के हालात पर आंबेकर ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मामला है और देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह गंभीर विषय है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी वहां की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।’’
उन्होंने कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ता शांति स्थापित करने के लिए वहां जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं, वे समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए प्रयास जारी हैं।
भाषा शोभना