श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के तहत लगभग 75 फीसदी मतदान : अधिकारी
पारुल माधव
- 21 Sep 2024, 10:00 PM
- Updated: 10:00 PM
(तस्वीर सहित)
कोलंबो, 21 सितंबर (भाषा) श्रीलंका में शनिवार को आयोजित राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 75 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। महानिदेशक चुनाव समन श्री रत्नायक ने यह जानकारी दी।
वर्ष 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है। इस दौरान, सभी 22 निर्वाचन जिलों में कहीं से भी हिंसा या सुरक्षा उल्लंघन की कोई खबर नहीं आई।
रत्नायक ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में मतदान प्रतिशत 75 फीसदी के आसपास रहा, जो नवंबर 2019 में आयोजित पिछले राष्ट्रपति चुनाव से लगभग आठ प्रतिशत कम है। उस चुनाव में 83 फीसदी वोट पड़े थे।
निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे तक मतदान केंद्र में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को निर्धारित समय सीमा के बाद भी वोट डालने की अनुमति दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि शाम चार बजे मतदान खत्म होने के तुरंत बाद डाक मतों की गिनती शुरू कर दी गई।
डाक मतदान चार दिन पहले आयोजित किया गया था। इसके तहत ज्यादातर चुनाव कर्मियों, सैनिकों और पुलिसकर्मियों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
कोलंबो शहर के उप चुनाव आयुक्त एमकेएसकेके बंदरमापा ने कहा, “डाक मतपत्रों की गणना के बाद शाम छह बजे हम सामान्य मतों की गिनती शुरू करना चाहेंगे।”
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगभग 8,000 स्थानीय और विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई थी। इनमें यूरोपीय संघ, राष्ट्रमंडल देशों और ‘एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन्स’ के 116 तथा दक्षिण एशियाई देशों के सात अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक शामिल थे।
प्रमुख स्थानीय समूह ‘पीपुल्स एक्शन फॉर फ्री एंड फेयर इलेक्शन’ (पीएएफएफआरईएल) ने 4,000 स्थानीय पर्यवेक्षकों की तैनाती की थी।
इस चुनाव को मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का दावा किया है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह चुनाव 1982 के बाद देश में हुआ सबसे दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव है, जिसमें 38 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा।
देश भर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए थे और लगभग 1.70 करोड़ लोग मतदान के पात्र थे। बौद्ध मंदिरों के सभागार, स्कूल और सामुदायिक केंद्रों को मतदान केंद्र में तब्दील किया गया था। चुनाव संपन्न कराने के लिए दो लाख से अधिक अधिकारियों की तैनाती की गई थी।
त्रिकोणीय मुकाबले में विक्रमसिंघे (75) को नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा (57) से कड़ी टक्कर मिली।
विक्रमसिंघे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। उन्होंने मतदाताओं से अपील की थी कि वे द्विपीय देश को उसके सबसे बड़े आर्थिक संकट से तेजी से उबारने की दिशा में किए गए उनके प्रयासों के लिए पांच साल के अगले कार्यकाल के लिए उन्हें वोट दें।
श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में खाद्यान्न, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी के बीच दिवालिया होने की घोषणा की थी। देश में महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शन के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका छोड़कर भागने और इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
कुछ हफ्तों बाद संसद ने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति नियुक्त किया था। विक्रमसिंघे के कार्यकाल में श्रीलंकाई मुद्रा स्थिर हुई है, महंगाई दर आर्थिक संकट के चरम पर होने के दौरान 70 फीसदी से घटकर लगभग शून्य पर पहुंच गई है और विकास दर एवं सरकार के राजस्व संग्रह में भी सुधार हुआ।
कोलंबो में वोट डालने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा, “यह श्रीलंका के लिए देश को बर्बाद करने वाली पारंपरिक राजनीति और पारंपरिक अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण अवसर है। यह एक नयी सामाजिक व्यवस्था और नयी राजनीतिक प्रणाली कायम करने का अहम मौका है।”
श्रीलंका में मतदाता तीन उम्मीदवारों की वरीयता क्रम के आधार पर रैंकिंग कर एक विजेता का चयन करते हैं। अगर मतगणना में किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत हासिल होता है, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। लेकिन अगर कोई उम्मीदवार पूर्ण बहुमत हासिल करने में नाकाम रहता है, तो दूसरे दौर की गिनती शुरू की जाती है, जिसमें दूसरी और तीसरी वरीयता के वोटों को ध्यान में रखा जाता है।
श्रीलंका में अभी तक किसी भी चुनाव में दूसरे दौर की मतगणना की जरूरत नहीं पड़ी है, क्योंकि पहले दौर की गिनती में ही स्पष्ट विजेता उभरकर सामने आया है।
भाषा पारुल