भारत को संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का समर्थन करना चाहिए : अमेरिका के एनएसए
सुभाष दिलीप
- 21 Sep 2024, 09:01 PM
- Updated: 09:01 PM
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 21 सितंबर (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले, रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का समर्थन करना चाहिए।
सुलिवन ने कहा कि युद्ध और प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यूक्रेन यात्रा पर, क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति के डेलवेयर स्थित विलमिंगटन आवास पर होने वाली मोदी-बाइडन द्विपक्षीय बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मैं उन मुद्दों पर विस्तार से नहीं बोलूंगा कि बाइडन क्या बात करेंगे, जो स्पष्ट रूप से संवेदनशील हैं और द्विपक्षीय बैठक में स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं होंगी।’’
सुलिवन ने कहा, ‘‘अमेरिका का यह स्पष्ट दृष्टिकोण है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर आक्रामक युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय कानून के हर मानदंड और सिद्धांत का उल्लंघन किया है, और भारत जैसे देशों को आगे आकर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का समर्थन करना चाहिए।’’
उन्होंने यह भी कहा कि हर देश को रूस को युद्ध सामग्री देने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति (बाइडन) प्रधानमंत्री मोदी से यूक्रेन की उनकी यात्रा के बारे में भी जानना चाहेंगे, जो एक महत्वपूर्ण और वास्तव में ऐतिहासिक यात्रा थी। साथ ही, यह उन दोनों के लिए आगे की राह के बारे में अपने-अपने विचारों पर बातचीत करने का एक अवसर होगा।’’
मोदी ने अगस्त में (यूक्रेन के) राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ बैठक करने के लिए यूक्रेन का दौरा किया था।
इस महीने की शुरुआत में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत का नाम उन तीन देशों में शामिल किया था, जिनके साथ वे यूक्रेन संघर्ष के बारे में लगातार संपर्क में हैं। पुतिन ने कहा था कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।
चीन के बारे में, सुलिवन ने कहा कि दोनों नेता (बाइडन और मोदी) इस बारे में बात करेंगे कि वे इस क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयों को कैसे देखते हैं, चीन किस दिशा में जा रहा है, न केवल सुरक्षा क्षेत्र में, बल्कि आर्थिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी।
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