भारत और अमेरिका की सेनाओं का संयुक्त युद्ध अभ्यास संपन्न
पृथ्वी, रवि कांत
- 21 Sep 2024, 04:19 PM
- Updated: 04:19 PM
जयपुर, 21 सितंबर (भाषा) भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 'युद्धाभ्यास-24' शनिवार को संपन्न हो गया।
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने यहां बताया कि 'महाजन फील्ड फायरिंग रेंज' में आयोजित समापन समारोह में दोनों सेनाओं के उत्कृष्ट सैनिकों को सम्मानित किया गया और उनकी सांस्कृतिक और सैन्य विरासत को प्रदर्शित किया गया। भारतीय सेना की ओर से मेजर जनरल एन एस जाखड़ और अमेरिकी सेना के दल की ओर से मेजर जनरल जो हिल्बर्ट ने सैनिकों को संबोधित किया।
सेना के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल अमिताभ शर्मा के अनुसार कार्यक्रम का समापन हथियारों और उपकरणों की प्रदर्शनी के साथ हुआ, जिसमें भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया गया। इसके अनुसार 'युद्ध अभ्यास-24' भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ जिसने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया और वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान में योगदान दिया।
'युद्ध अभ्यास-24' में संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत अर्ध-शहरी और अर्ध-रेगिस्तानी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस अभ्यास में शारीरिक फिटनेस, सामरिक अभ्यास और दोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, तकनीकों और प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया।
भारतीय दल का प्रतिनिधित्व अमोघ डिवीजन की राजपूत रेजिमेंट के एक बटालियन समूह और एक इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय ने किया, जबकि अमेरिकी दल में अलास्का स्थित 1-24 इन्फैंट्री बटालियन और 11वीं एयरबोर्न डिवीजन के तत्व शामिल थे। थार रेगिस्तान के कठिन भूभाग और जलवायु का सामना करते हुए इस दीर्घकालिक अभ्यास में 1,200 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया।
बयान के अनुसार यह युद्ध अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया था। पहले चरण में, दोनों दलों ने युद्ध अभ्यास और सामरिक प्रशिक्षण पूरा किया, जिसमें उनकी संयुक्त संचालन क्षमता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दूसरे चरण, जिसे सत्यापन चरण कहा जाता है, उसमें प्रशिक्षण को संयुक्त अभियानों की एक श्रृंखला के माध्यम से व्यवहार में लाया गया।
सत्यापन अभ्यास में अवलोकन चौकी स्थापित करना, रोड ओपनिंग ड्रिल, घेराबंदी और तलाशी अभियान के अभ्यास जैसी कई प्रकार की संयुक्त गतिविधियां शामिल थीं, जिसमें हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके घायलों को निकाला भी गया।
इसके अलावा, सी-130, एएलएच और एमआई-17 प्लेटफार्मों का उपयोग करके 'एयरबोर्न' और 'हेलीबोर्न' ऑपरेशन भी किए गए। एक लाइव फायरिंग अभ्यास भी आयोजित किया गया, जिसमें पिनाका, हिमारस और एम-777 तोपों जैसी लंबी दूरी की मारक क्षमता का उपयोग कर लक्ष्यों को बेअसर किया गया, जिसके बाद अंतिम घेराबंदी और तलाशी अभियान ने सटीकता और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया।
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