संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम ‘पालकी मार्ग’ का निर्माण पूरा, 42 हजार पेड़ लगाए गए: गडकरी
सुभाष नेत्रपाल
- 21 Sep 2024, 03:52 PM
- Updated: 03:52 PM
पुणे, 21 सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यहां शनिवार को कहा कि संत ज्ञानेश्वर एवं संत तुकाराम ‘पालकी मार्ग’ का निर्माण पूरा हो गया है और ‘संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग’ का उद्घाटन दिसंबर तक किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हडपसर-दिवेघाट से मोहोल तक चार लेन वाले संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग और पाटस से तोंडले-बोंडले तक संत तुकाराम महाराज पालकी मार्ग के किनारे 42,000 पेड़ लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इन्हें ‘‘हरित राजमार्ग’’ बनाने के लिए और वृक्षारोपण करना चाहिए।
गडकरी ने यह भी कहा कि केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री और पुणे से सांसद मुरलीधर मोहोल ने पुणे हवाई अड्डा का नाम जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज हवाई अड्डा करने का सुझाव दिया था।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बात करने के बाद हमने नामकरण प्रस्ताव पारित किया।’’
गडकरी ने कहा कि संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर की शिक्षाएं उनके जीवन में एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं और वह धर्म, पंथ तथा जाति का इस्तेमाल नहीं करने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कोई व्यक्ति अपने द्वारा किए गए काम से बड़ा बनता है।’’ उन्होंने तुच्छ लाभ के लिए जाति का इस्तेमाल करने वालों की निंदा की।
महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े शहर पुणे के बारे में उन्होंने कहा कि स्कूटर, कार और बस इथेनॉल से चलनी चाहिए क्योंकि यह यहां प्रदूषण को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में, विमानन ईंधन में भी इथेनॉल होना चाहिए।’’
गडकरी ने कहा कि दिसंबर तक पुणे जिले में 1.5 लाख करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य शुरू हो जाएगा।
वह और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे, जिसमें कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।
तीर्थस्थल पंढरपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को सुगम आवागमन उपलब्ध कराने के लिए ‘पालकी मार्ग’ की परिकल्पना की गई थी।
दिवेघाट से मोहोल तक संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग 965) के लगभग 221 किलोमीटर और पाटस से टोंडले-बोंडेले तक संत तुकाराम महाराज पालकी मार्ग के 130 किलोमीटर हिस्से को चार लेन का किया जा रहा है, जिसके दोनों ओर से ‘पालकियों’ के लिए पैदल मार्ग होंगे।
भाषा सुभाष