‘वोट के बदले नकदी’ मामला : न्यायालय ने कहा, अभियोजन के काम में दखल न दें तेलंगाना के मुख्यमंत्री
प्रशांत वैभव
- 20 Sep 2024, 05:45 PM
- Updated: 05:45 PM
नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को निर्देश दिया कि वह 2015 के वोट के बदले नकदी मामले की कार्यवाही में अभियोजन पक्ष के कामकाज में किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करें, जिसमें वह एक आरोपी हैं।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की एक पीठ ने मामले की सुनवाई को तेलंगाना से भोपाल स्थानांतरित करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक मामले के अभियोजन के संबंध में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट नहीं करेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने रेड्डी की उस टिप्पणी पर भी कड़ी नाराजगी जताई जो उन्होंने न्यायालय द्वारा भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले में जमानत दिए जाने पर दी थी। न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि संविधान के सभी तीनों स्तंभ एक-दूसरे के कामकाज के प्रति परस्पर सम्मान दिखाएंगे।
पीठ ने रेड्डी द्वारा अदालत से माफी मांगने संबंधी हलफनामे पर गौर करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ना चाहती।
पीठ ने कहा, “हम इस मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहते। हम सभी संवैधानिक पदाधिकारियों, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को केवल यह चेतावनी दे सकते हैं कि वे संविधान द्वारा उनके लिए निर्धारित क्षेत्रों में अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करें।”
पीठ ने कहा, “इस तरह की अनचाही टिप्पणियां अनावश्यक रूप से टकराव पैदा करती हैं। इसलिए हम केवल यही सलाह दे सकते हैं कि न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों के बारे में टिप्पणी करते समय पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए।”
उसने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि फैसले की निष्पक्ष आलोचना का हमेशा स्वागत है, लेकिन किसी को भी सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायक गुंटाकांडला जगदीश रेड्डी और अन्य तीन द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया जिसमें इस मामले की सुनवाई को तेलंगाना से भोपाल स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि रेड्डी के रहते तेलंगाना में इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
उन्होंने कहा था कि यदि आपराधिक मुकदमा स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होगा, तो निस्संदेह आपराधिक न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता दांव पर लग जाएगी, जिससे आम लोगों का प्रणाली में विश्वास खत्म हो जाएगा, जो समग्र रूप से समाज के लिए अच्छा नहीं होगा।
मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि वर्ष 2015 के ‘वोट के बदले नकदी’ मामले की सुनवाई स्थानांतरित करने के अनुरोध वाली याचिका ‘राजनीतिक मकसद’ से दायर की गई है।
मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले की सुनवाई आधी हो चुकी है और अभियोजन का संचालन एक अभियोजक द्वारा किया जा रहा है, जिसे पूर्ववर्ती शासन द्वारा नियुक्त किया गया था।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है कि रेवंत रेड्डी, जो राज्य के गृह मंत्री भी हैं, का एसीबी पर सीधा नियंत्रण है और ब्यूरो के निदेशक सीधे उनके प्रति जवाबदेह हैं।
पीठ ने कहा, “उस डर को दूर करने के लिए, हम प्रतिवादी नंबर दो (रेवंत रेड्डी) को निर्देश देते हैं कि वह किसी भी तरह से उस कार्यवाही में अभियोजन पक्ष के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, जिसके स्थानांतरण की मांग की गई है।”
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने कहा कि रेवंत रेड्डी राज्य के गृह मंत्री भी हैं और एसीबी के मामले सीधे उनके अधीन हैं।
पीठ ने कहा, “भले ही इसे (मुकदमा) तेलंगाना से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए, फिर भी वह एजेंसी (एसीबी) के प्रभारी बने रहेंगे। यदि वह (रेवंत रेड्डी) अभियोजन पक्ष को मुकदमा वापस लेने का निर्देश देते हैं, तो हम उसका ध्यान रखने के लिए मौजूद हैं।”
पीठ ने कहा कि मामले की पूर्व में सुनवाई करते समय उसने मुख्यमंत्री के कुछ आपत्तिजनक ट्वीटों पर संज्ञान लिया था।
न्यायालय ने कहा कि रेवंत रेड्डी के पहले ही माफी मांग लेने के बाद इस विषय को खत्म समझा जाए।
साल 2015 में तेलुगू देशम पार्टी में रहे रेवंत रेड्डी को एसीबी ने विधानपरिषद चुनाव में तेदेपा उम्मीदवार वेम नरेन्द्र रेड्डी का समर्थन करने के लिए मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये की रिश्वत देते हुए 31 मई 2015 को पकड़ा था।
एसीबी ने इस मामले में रेवंत रेड्डी के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में सभी को जमानत मिल गई थी।
भाषा प्रशांत