भारत 'पिछड़ी कृषि' के साथ विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता: बायर के दक्षिण एशिया अध्यक्ष
अनुराग
- 13 Sep 2024, 01:07 PM
- Updated: 01:07 PM
(लक्ष्मी देवी ऐरे)
पानीपत, 13 सितंबर (भाषा) जर्मनी की रसायन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बायर के दक्षिण एशिया परिचालन के प्रमुख ने कहा है कि भारत 'पिछड़ी कृषि' के साथ 2047 तक ‘विकसित राष्ट्र’ नहीं बन सकता। उन्होंने कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की।
बायर दक्षिण एशिया के अध्यक्ष साइमन विबुश ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, “पिछड़ी कृषि से आप विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते।”
उन्होंने कहा, “नई सरकार की ओर से हमें जो अनेक पहल सुनने को मिल रही हैं, वे स्पष्ट रूप से भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण पर केंद्रित हैं।”
विबुश ने कहा कि भारत तेजी से विनियामक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर रहा है और नवीन यौगिकों को प्राथमिकता दे रहा है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन "रातोरात नहीं होता"।
नियामकीय देरी के बारे में उन्होंने कहा, “हम अब नए अभिनव यौगिकों को प्राथमिकता देने और तेजी से आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा देख रहे हैं। यह एक स्पष्ट संकेत है कि जो हमने अतीत में देखा है वह वह नहीं है जो हम भविष्य में देखेंगे।”
बायर दक्षिण एशिया के लिए फसल विज्ञान के ‘कंट्री डिवीजनल हेड’ वीबुश ने कहा कि कंपनी भारत में खरपतवारनाशकों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, जो कि कृषि में बढ़ती श्रम की कमी को पूरा करने के लिए है। यह कोविड-19 महामारी के बाद से और अधिक गंभीर हो गई है।
उन्होंने कहा कि भारत में खरपतवारनाशकों में निवेश इस समय कीटनाशकों की तुलना में अधिक है।
विवुश ने कहा, “हम भारत में कृषि में श्रमिकों की कमी देख रहे हैं। इसका मतलब हमें उन खरपतवारों से निपटने के लिए अधिक खरपतवारनाशकों की आवश्यकता है जिनके बारे में आप बात कर रहे हैं जैसे साइपरस रोटंडस, सिनोडोन डेक्टीलॉन और फालारिस माइनर।”
उन्होंने कहा कि हालांकि भारत में ऐतिहासिक रूप से कम उपयोग के कारण मौजूदा खरपतवारनाशक अभी भी प्रभावी हैं, लेकिन कंपनी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी कर रही है, क्योंकि खरपतवारों में इनके प्रति प्रतिरोध विकसित हो रहा है।
भाषा