वक्फ विधेयक: बिहार एवं आंध्र में होंगी जनसभाएं, जद(यू) व तेदेपा से साधा जाएगा संपर्क
नोमान नोमान सुरेश
- 12 Sep 2024, 09:45 PM
- Updated: 09:45 PM
नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की पहल पर यहां हुई विभिन्न मुस्लिम संगठनों की एक बैठक में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक जद(यू) और तेदेपा से संपर्क करने के साथ ही, राष्ट्रीय राजधानी, बिहार और आंध्र प्रदेश में जनसभाएं करने का फैसला किया गया है।
जमीयत (एमएम) की ओर से बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि विधेयक के खिलाफ मजबूत सामूहिक रुख अपनाने के लिए सिख और दलित समुदायों सहित अन्य वर्गों से भी संपर्क किया जाएगा।
बयान के मुताबिक, बुधवार शाम संगठन के स्थानीय मुख्यालय में हुई बैठक में महमूद मदनी के साथ-साथ उनके चाचा एवं जमीयत उलमा-ए-हिंद (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर (प्रमुख) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी एवं उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी, पूर्व आईएएस अफजल अमानुल्लाह और रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी समेत अन्य लोग मौजूद थे।
बयान के मुताबिक, बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन “किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है” और इसलिए इस विधेयक के खिलाफ राजनीतिक दबाव बनाने के लिए राजग सरकार के सहयोगी दलों जनता दल (यू) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) समेत समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से संपर्क किया जाएगा।
बयान में यह भी कहा गया है कि विधेयक के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा बिहार एवं आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर जनसभाएं आयोजित की जाएंगी, जहां राजग की सरकारें हैं।
बयान के मुताबिक, बैठक में महमूद मदनी ने विशेष रूप से वक्फ संपत्तियों के खिलाफ सामाजिक स्तर पर “नफरत और झूठ” के आधार पर दुष्प्रचार पर गहरी चिंता व्यक्त की।
इसके अनुसार, अरशद एवं महमूद मदनी, दोनों ने ही विधेयक के खिलाफ राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी स्तर पर संघर्ष की जरूरत बताई।
बयान में यह भी कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों के बारे में गलतफहमियों को दूर करने और सही जानकारी प्रदान करने के लिए सोशल मीडिया अभियान तैयार किए जाएंगे, ताकि लोगों को सही तथ्यों से अवगत कराया जा सके।
इसमें एसवाई कुरैशी के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने राजनीतिक दलों और समान विचारधारा वाले दलों और सिख समुदाय को अपने आंदोलन से जोड़ने को उपयोगी बताया।
भाषा नोमान नोमान