जांचकर्ताओं के समक्ष बयान देने वाली महिलाओं की गोपनीयता की रक्षा हो : डब्ल्यूसीसी ने विजयन से कहा
पारुल पवनेश
- 11 Sep 2024, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
तिरुवनंतपुरम, 11 सितंबर (भाषा) मलयालम फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिला पेशेवरों के संगठन ‘वुमन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (डब्ल्यूसीसी) की प्रतिनिधियों ने बुधवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मुलाकात कर उन महिलाओं की गोपनीयता की रक्षा करने का आग्रह किया, जिन्होंने न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के बाद फिल्म उद्योग के संबंध में सामने आए आरोपों की तफ्तीश कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं।
जानी-मानी अभिनेत्री रेवती और रीमा कलिंगल, पटकथा लेखिका दीदी दामोदरन और संपादक बीना पॉल वेणुगोपाल समेत डब्ल्यूसीसी की प्रतिनिधियों ने तिरुवनंतपुरम में राज्य सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में विजयन से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री के साथ डब्ल्यूसीसी प्रतिनिधियों की इस मुलाकात से एक दिन पहले ही केरल उच्च न्यायालय ने राज्य की वामपंथी सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई में उसकी निष्क्रियता “बेहद खतरनाक” है।
उच्च न्यायालय ने सरकार को समिति की रिपोर्ट की एक प्रति सभी अनुलग्नकों के साथ तुरंत एसआईटी को सौंपने का निर्देश दिया था, जो बदले में इसे पूरी तरह से देखेगी “यह पता लगाने के लिए कि क्या किसी व्यक्ति के कहने या उकसावे पर कोई अपराध, संज्ञेय अथवा अन्यथा, किया गया।”
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद कलिंगल ने संवाददाताओं से कहा कि डब्ल्यूसीसी उद्योग के सभी हितधारकों को एक साथ लाना चाहता है।
डब्ल्यूसीसी सदस्य दामोदरन और आशा अचू जोसेफ ने गोपनीयता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए हेमा समिति के समक्ष गवाही देने वाली पीड़िताओं की निजता की रक्षा करने का आग्रह किया।
जोसेफ ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार मामले पर ध्यान दे और ये महिलाएं जो भी मांग कर रही हैं, उसे पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह निश्चित रूप से इसे देखेंगे और पूरी स्थिति का जायजा लेंगे, क्योंकि उन्हें कुछ विशिष्ट मामलों की जानकारी नहीं है। हम कुछ मामले उनके संज्ञान में ले आए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह इन पर गौर करेंगे।”
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए दामोदरन ने कहा कि वह उन महिलाओं के भविष्य को लेकर अनिश्चित थीं, जिन्होंने उन चीजों की शिकायत करने के लिए हेमा समिति से संपर्क किया था, जिन्हें वे दोहराते हुए नहीं देखना चाहती थीं।
उन्होंने कहा, “ऐसा इस शर्त पर किया गया था कि उनकी गोपनीयता की रक्षा की जाएगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उनकी गोपनीयता की रक्षा की जानी चाहिए...।”
दामोदरन ने कहा कि उनकी चिंताओं को देखते हुए डब्ल्यूसीसी ने हाल ही में महिला आयोग से संपर्क किया था, जिसने उन्हें यह सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया था कि ऐसी चीजें दोहराई न जाएं।
उन्होंने कहा कि हालांकि, अब उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि हेमा समिति की पूरी रिपोर्ट एसआईटी को सौंपी जाए।
दामोदरन ने कहा, “इस मामले में, हम कुछ स्पष्टता चाहते थे कि गोपनीयता की रक्षा कैसे की जाएगी। पहले चरण की बातचीत हमारे और मुख्यमंत्री के बीच थी... लेकिन सब कुछ उसके बाद हुआ, इसलिए हमें चीजें स्पष्ट करनी पड़ीं।”
डब्ल्यूसीसी सदस्य ने कहा कि जो लोग बुधवार को मुख्यमंत्री से मिलने गए थे, वे वही सदस्य थे जिन्होंने सात साल पहले पहली याचिका पर हस्ताक्षर किए थे।
एसआईटी को ‘हल्की चिंता का विषय’ बताते हुए दामोदरन ने कहा कि हालांकि, वह संतुष्ट हैं कि इस संबंध में कुछ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हो यह रहा है कि जिन पीड़िताओं ने हेमा समिति के सामने गवाही दी थी, उन्हें भी बुलाया गया था और पूछताछ की जा रही थी... उनके वीडियो रिकॉर्ड किए गए थे और यह हमारे लिए थोड़ा चिंता का विषय है... और जो लोग समिति के समक्ष पहले गवाही दे चुके थे, वे भी थोड़े परेशान थे।”
दामोदरन ने कहा कि विजयन के साथ डब्ल्यूसीसी सदस्यों की बैठक “सकारात्मक” थी।
उन्होंने कहा, “वह (विजयन) बहुत सकारात्मक लगते हैं... हमने पीड़ितों के लिए कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता के बारे में बात की। मुझे लगता है कि उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।”
दामोदरन के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि हेमा समिति की रिपोर्ट में की गई अन्य सिफारिशों को कुछ ही समय में लागू किया जाएगा।
न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति सीएस सुधा की विशेष खंडपीठ ने मंगलवार को कहा था कि सरकार को चार साल पहले रिपोर्ट मिली थी और उसे तुरंत जवाब देना चाहिए था।
खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि पूरी रिपोर्ट एसआईटी को सौंपी जाए, ताकि कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद मलयालम फिल्म उद्योग के कई अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न एवं शोषण के आरोप लगे थे। राज्य सरकार ने इन आरोपों की जांच के लिए 25 अगस्त को सात सदस्यीय विशेष जांच दल की स्थापना की घोषणा की थी।
भाषा पारुल