शिमला मस्जिद विवाद : प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़े, पुलिस से झड़प में 10 घायल
धीरज अविनाश
- 11 Sep 2024, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
(तस्वीरों के साथ)
शिमला, 11 सितंबर (भाषा) शिमला के संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के अवैध हिस्से को ध्वस्त करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों की बुधवार को सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को तोड़ दिया और पथराव किया, जबकि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और लाठीचार्ज किया। इस दौरान पुलिस और महिलाएं सहित करीब 10 लोग घायल हो गए।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार स्थिति के बिगड़ने पर गंभीर रूप से चिंतित है और सभी घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रख रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संपर्क में हैं और मैंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला से बात की है। वे भी चिंतित हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति में कोई गिरावट नहीं आए।’’
‘‘जय श्री राम’’ और ‘‘हिंदू एकता जिंदाबाद’’ के नारे लगाते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी सब्जी मंडी ढल्ली में एकत्र हुए। निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए उन्होंने प्रशासन की चेतावनी की अनदेखी की और संजौली की ओर मार्च शुरू कर दिया। उन्होंने ढल्ली सुरंग के पास लगाए गए अवरोधक तोड़ दिए।
कुछ हिंदू समूहों के आह्वान पर एकत्र प्रदर्शनकारियों ने जब संजौली में प्रवेश किया और मस्जिद के पास लगे दूसरे अवरोधक को तोड़ दिया तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और पानी की बौछारें छोड़ीं।
पुलिस ने हिंदू जागरण मंच के सचिव कमल गौतम सहित कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया तथा मस्जिद के पास फिर से अवरोधक लगा दिए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने वहां से हटने से इनकार कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी जारी रखी।
झड़प के कारण संजौली, ढल्ली और आसपास के इलाकों के बच्चे स्कूलों में फंसे रहे। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के प्रति अपने आक्रोश का इजहार किया। उनका कहना था कि प्रदर्शन की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन ने विद्यालयों को बंद रखने का आदेश नहीं दिया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई स्कूल प्रबंधन बच्चों को घर वापस भेजने के लिए जिला प्रशासन के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के विरोध में शिमला व्यापार मंडल ने बृहस्पतिवार को बंद का आह्वान किया है। मंडल अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने कहा कि बंद पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न एक बजे तक रहेगा और विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिंदू समुदाय को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
उन्होंने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जहां तक मस्जिद में अनाधिकृत निर्माण का मामला है तो प्रकरण शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत में विचाराधीन है तथा फैसला आने के बाद कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि निर्माण अनधिकृत है तो कानून के अनुसार ढांचे को ध्वस्त कर दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि मामला पिछले 10 वर्षों से लंबित है और अतीत में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भाजपा के महापौर भी रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
सिंह ने कहा, ‘‘हिमाचल प्रदेश में हर कोई शांति से रहता है, जिसे ‘देवभूमि’ के रूप में भी जाना जाता है और मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे कानून अपने हाथ में न लें।’’
घटनास्थल पर मौजूद पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा ने बताया कि झड़प और पथराव में कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जबकि चार प्रदर्शनकारियों को भी चोटें आई हैं।
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा, ‘‘हमने बातचीत के जरिए स्थिति को शांत करने की कोशिश की, लेकिन कोई नेता नहीं है और भीड़ सुनने को तैयार नहीं है।’’
प्रदर्शन में शामिल कल्पी शर्मा ने दावा किया कि महिलाओं सहित 15 प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं।
प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों में शामिल विजय शर्मा ने कहा कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिसके कारण क्षेत्र में अशांति पैदा हुई।
प्रदर्शन में शामिल सुनीता ने दावा किया कि पुलिस ने बच्चों पर भी लाठीचार्ज किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम न तो कांग्रेस से हैं और न ही भाजपा से, हम हिंदू हैं और चाहते हैं कि ये रेहड़ी-पटरी वाले बाहर हो जाएं।’’
संजौली के एसपीएम पब्लिक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा जानवी ने बताया कि प्रदर्शन के कारण स्कूल में फंसे होने के कारण छात्र डरे हुए थे। उन्होंने बताया, ‘‘जब हमारे अभिभावक हमें लेने आए तो हमें जाने दिया गया।’’
कई प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले तो उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी और अब उन्हें गिरफ्तार कर रही है।
शर्मा ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि सुनवाई पूरी होने तक ढांचे को सील किया जाए, राज्य में आने वाले सभी बाहरी लोगों का पंजीकरण किया जाए और जनसंख्या के आधार पर विक्रेता नीति बनाई जाए, जिसमें 95 प्रतिशत लाइसेंस हिंदुओं को दिया जाए।’’
मंत्री सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस शासन के दौरान धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि मुझे हिंदू होने पर गर्व है लेकिन सरकार कानून के दायरे में काम करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हिमाचल प्रदेश के लोगों के हितों के प्रति संवेदनशील हैं और उनके साथ खड़े हैं, लेकिन अल्पसंख्यक भी राज्य का हिस्सा हैं और हमें सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘हम किसी को भी आजीविका कमाने के लिए राज्य में आने से नहीं रोक सकते, लेकिन हमें अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना होगा और राज्य में आने वाले बाहरी लोगों का सत्यापन पुलिस के साथ-साथ नगर निगम द्वारा किया जाएगा।’’
कई महिलाएं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं और अवरोधक तोड़ने से पहले ढल्ली में हनुमान चालीसा का पाठ किया।
संजौली इलाके की मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बढ़ते तनाव और विवादित ढांचा गिराने की मांग को लेकर हिंदू संगठनों के बंद के आह्वान के बीच संजौली और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
शिमला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा आदेश जारी किए है, जिसके तहत पांच से अधिक लोगों के एकत्रित होने और हथियार रखने पर रोक है।
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शांति बनाये रखने की अपील की और कहा कि राज्य सरकार मस्जिद के संबंध में विवाद पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल एक ढांचे का मामला नहीं है, बल्कि ऐसे 4,000-5,000 से अधिक ढांचे हैं। पिछले 14 वर्ष से यह मामला नगर निगम आयुक्त की अदालत में लंबित रहा है और मामले की सुनवाई तेज करने के प्रयास किए जाएंगे।’’
विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने भी प्रदर्शनकारियों से निषेधाज्ञा की अवहेलना न करने की अपील की।
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी, ‘‘अवैध मस्जिद का मामला बहुत संवेदनशील है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और मामले पर सुनवाई तेजी से होनी चाहिए, क्योंकि राज्य के अन्य हिस्सों में भी तनाव फैल सकता है।’’
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा था कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून-व्यवस्था बनाये रखना सरकार की जिम्मेदारी है। लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन किसी भी समुदाय के किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।’’
सुक्खू ने कहा कि जहां तक मस्जिद का सवाल है, कुछ मंजिलों पर अनधिकृत या अवैध निर्माण का मामला नगर निगम के पास है और कानून अपना काम करेगा तथा इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय के लिए अनुरोध किया जाएगा।
हिंदू समूहों ने गत बृहस्पतिवार को भी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था।
भाषा धीरज