न्यायाधिकरण ने जम्मू-कश्मीर के छह अलगाववादी समूहों पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा
नोमान माधव
- 11 Sep 2024, 09:54 PM
- Updated: 09:54 PM
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय के एक विशेष न्यायाधिकरण ने आतंकवाद के जरिये जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद की भावनओं को भड़का कर भारत की अखंडता को खतरा पहुंचाने के लिए अलगाववादी समूह मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (एमसीजेके) के गुटों और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग (जेकेपीएल) के चार गुटों पर केंद्र के प्रतिबंध को सही ठहराया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस साल इन समूहों को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था।
इसके अधिनिर्णय की जिम्मेदारी दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा को सौंपी गयी थी।
न्यायमूर्ति कृष्णा के नेतृत्व वाले न्यायाधिकरण ने तीन अलग-अलग आदेश जारी कर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा। इनमें से एक-एक आदेश मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (भट गुट) और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (सुमजी गुट) से संबंधित है और तीसरा जेकेपीएल के चार गुटों से जुड़ा है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 28 फरवरी को एक अधिसूचना के माध्यम से मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (एमसीजेके-भट) को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था।
मंत्रालय ने 18 मार्च को न्यायाधिकरण का गठन यह निर्णय करने के उद्देश्य से किया था कि एमसीजेके-भट को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं या नहीं।
मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि न्यायाधिकरण ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 23 अगस्त 2024 को एक आदेश पारित किया, जिसमें उक्त अधिसूचना में की गई घोषणा की पुष्टि की गई है।
मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाते समय कहा था कि एमसीजेके-भट के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं और यह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करता है, इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर को भारत संघ से अलग करने के लिए भारत के खिलाफ नफरत और असंतोष की भावना पैदा करने में लिप्त हैं।
मंत्रालय ने कहा था कि एमसीजेके-भट के सदस्य आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों पर लगातार पथराव करने सहित गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान तथा उसके छद्म संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाने में शामिल हैं।
दूसरे आदेश में न्यायाधिकरण ने एमसीजेके (सुमजी गुट) पर 28 फरवरी को लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा।
तेईस अगस्त को जारी अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने गृह मंत्रालय की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि गुलाम नबी सुमजी की अध्यक्षता वाला एमसीजेके (सुमजी गुट) अपने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए जाना जाता है तथा इसके सदस्य आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को सहायता प्रदान करने में शामिल हैं।
न्यायाधिकरण ने तीसरे आदेश में जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के चार गुटों- जेकेपीएल (मुख्तार अहमद वाजा), जेकेपीएल (बशीर अहमद तोता), जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान उर्फ सोपोरी) और याकूब शेख के नेतृत्व वाली जेकेपीएल (अजीज शेख)- पर लगाए गए प्रतिबंध की पुष्टि की है।
जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान उर्फ सोपोरी) को जम्मू-कश्मीर पीपुल्स पॉलिटिकल लीग के नाम से भी जाना जाता है।
पंद्रह मार्च को यूएपीए के तहत जेकेपीएल के चार गुटों को गैर-कानूनी घोषित करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि ये समूह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और भारत-विरोधी प्रचार करने में शामिल थे तथा उनके सदस्य गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन करने में लिप्त थे।
मंत्रालय ने कहा था कि इन समूहों के सदस्य सुरक्षा बलों पर पथराव में भी शामिल थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से चुनावों में भाग लेने से लगातार परहेज करने को कहा और इस तरह भारतीय लोकतंत्र के संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया तथा उसमें बाधा उत्पन्न की।
न्यायाधिकरण ने अपने 29 अगस्त के आदेश में कहा कि इन कार्यवाहियों में रिकॉर्ड पर रखी गई विस्तृत सामग्री और साक्ष्य के तहत जेकेपीएल के चार गुटों पर प्रतिबंध को बरकरार रखने का पर्याप्त आधार है।
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नोमान