दिल्ली: अदालत कक्षों के हल्के-फुल्के, मजाकिया पलों को साझा करने के लिए ‘ह्यूमर इन कोर्ट’ की शुरुआत
सिम्मी माधव
- 11 Sep 2024, 09:21 PM
- Updated: 09:21 PM
नयी दिल्ली, 11 सितम्बर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अनूठी पहल करते हुए बुधवार को अपनी वेबसाइट पर एक नया खंड ‘ह्यूमर इन कोर्ट’ (अदालत में हास्य) शुरू किया, जिसमें पिछले कई वर्षों के दौरान अदालतों के हल्के-फुल्के, मजाकिया और यादगार क्षणों का संग्रह होगा।
इसके अलावा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने दो अन्य आईटी पहलों - दिल्ली उच्च न्यायालय व्हाट्सएप सेवा और दिल्ली उच्च न्यायालय ई-संग्रहालय की भी शुरुआत की।
आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी), एआई (कृत्रिम मेधा) और पहुंच समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि वकीलों और न्यायाधीशों को माहौल हल्का बनाने की जरूरत होती है और कभी-कभी अदालत में तनाव कम करने के लिए न्यायाधीश कोई मजाकिया टिप्पणी कर सकते हैं और वकीलों को इसके प्रति संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है और न ही न्यायाधीशों को वकीलों की ऐसी टिप्पणियों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है।
न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, ‘‘यह परियोजना मेरे दिल के बहुत करीब है। अक्सर, इन किस्सों के माध्यम से इतिहास सामने आता है और दर्ज किया जाता है। जब न्यायाधीश (सुनवाई के लिए) बैठते हैं और महान वकील मामले पर बहस करते हैं, तो उसे अक्सर इन किस्सों के माध्यम से दर्ज किया जाता है...’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमारे पास एक जगह उपलब्ध है जहां हम जो किस्से सुनते हैं और साझा करते हैं, उन्हें इस पर दर्ज किया जा सकता है, लेकिन आपको कुछ मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करना होगा।’’
न्यायमूर्ति शकधर ने कहा कि हंसी-मजाक के दौरान किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया जाना चाहिए, शालीनता की सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए तथा यह अपमानजनक नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें बहुत संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है और हमें खुद पर हंसना सीखना होगा।’’
अदालत द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ‘ह्यूमर इन कोर्ट’ दिल्ली उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर एक समर्पित खंड होगा जिसके जरिए लोग कानूनी हस्तियों के बीच के हल्के-फुल्के पलों का आनंद ले सकते हैं।
भाषा
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