नगालैंड सरकार ने दीमापुर में ‘आईएलपी’ लागू करने का फैसला किया
पारुल अविनाश
- 11 Sep 2024, 07:26 PM
- Updated: 07:26 PM
कोहिमा, 11 सितंबर (भाषा) नगालैंड सरकार ने बुधवार को राज्य के दीमापुर, चुमुकेदिमा और निउलैंड जिलों में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करने का फैसला किया।
राज्य सरकार के प्रवक्ता और मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग ने कोहिमा में संवाददाताओं को बताया कि यह फैसला मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में दिन में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
दीमापुर जिले में अभी तक आईएलपी लागू नहीं था, जिसे 2021 में तीन जिलों-दीमापुर, चुमुकेदिमा और निउलैंड में बांट दिया गया था।
दीमापुर और निउलैंड जिले की सीमा असम से लगती है।
नगालैंड की यात्रा के लिए उन लोगों को आईएलपी की जरूर पड़ती है, जो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं।
अलॉन्ग ने बताया कि दीमापुर जिले में गैर-नगा निवासियों की तीन श्रेणियां होंगी, जिनमें से श्रेणी 1 और 2 को किसी आईएलपी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि श्रेणी-1 में वे लोग शामिल होंगे, जो एक दिसंबर 1963 को नगालैंड के गठन से पहले दीमापुर में बसे थे।
अलॉन्ग के अनुसार, विभाग इन लोगों को स्थायी निवास प्रमाणपत्र (पीआरसी) और अधिवास प्रमाणपत्र हासिल करने के विकल्प के साथ स्मार्ट कार्ड सुविधा प्रदान करने की दिशा में काम करेगा।
उन्होंने बताया कि श्रेणी-दो में उन लोगों को रखा गया है, जो एक दिसंबर 1963 और 21 नवंबर 1979 के बीच दीमापुर में बसे थे।
अलॉन्ग ने कहा कि इन लोगों को अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने के विकल्प के साथ स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि श्रेणी-3 उन लोगों से जुड़ी हुई है, जो 22 नवंबर 1979 को या उसके बाद दीमापुर में बसे हैं।
अलॉन्ग के मुताबिक, सरकार आईएलपी जारी करने के लिए डिजिटल प्रणाली को मजबूत करेगी, ताकि परमिट पाने के इच्छुक लोगों को बिचौलिये की मदद लेने या कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत न पड़े।
उन्होंने बताया कि कुछ श्रेणियों, मसलन- छात्रों, शिक्षकों, तकनीकी कर्मियों और राज्य में निवेश करने वाले व्यापारियों- को एक बार में दो से पांच साल की लंबी अवधि के लिए आईएलपी प्रदान किया जाना चाहिए।
नगालैंड 1873 के बंगाल पूर्वी सीमांत विनियमन (बीईएफआर) अधिनियम के तहत राज्य में गैर-नगा लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करता है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी लोगों की पहचान और अस्तित्व की रक्षा करना है। कोई भी ऐसा व्यक्ति, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या विदेशी, जो नगालैंड का मूल निवासी नहीं है, उसके लिए नगालैंड में प्रवेश करने के लिए आईएलपी प्राप्त करना अनिवार्य है।
हालांकि, पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नगालैंड के विभिन्न आदिवासी निकाय और नागरिक समाज संगठन राज्य में अवैध अप्रवासियों की आमद को रोकने के लिए दीमापुर, चुमुकेदिमा और निउलैंड में भी आईएलपी लागू करने की मांग कर रहे हैं।
नगा छात्र संघ (एनएसएफ) ने चार सितंबर को सरकार को इन तीन जिलों में 14 दिन के भीतर आईएलपी लागू करने का अल्टीमेटम दिया था। एनएसएफ ने चेतावनी दी थी कि आईएलपी को लागू करने में किसी भी तरह की देरी को नगा लोगों की सुरक्षा में ‘चूक’ और ‘सरकार द्वारा कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही’ के तौर पर देखा जाएगा।
भाषा पारुल