लोकपाल ने नौकरशाहों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए जांच शाखा का गठन किया
प्रीति सुरेश
- 11 Sep 2024, 04:30 PM
- Updated: 04:30 PM
(अश्विनी श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) लोकपाल ने लोक सेवकों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार संबंधी अपराधों की प्रारंभिक जांच के लिए एक जांच प्रकोष्ठ का गठन किया है। एक दशक से अधिक समय पहले पारित हुए एक कानून में लोकपाल को इसके गठन के अधिकार दिए गए थे।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद एक जनवरी, 2014 को लागू किया गया था, लेकिन अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद इस निकाय में 27 मार्च, 2019 से काम शुरू हो सका था।
लोकपाल अपने वैधानिक कार्यों का निर्वहन करने के लिए संबंधित अधिनियम 2013 की धारा 11 के तहत, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत आने वाले दंडनीय वैसे अपराधों की प्रारंभिक जांच करने के उद्देश्य से एक जांच प्रकोष्ठ का गठन कर सकता है, जो नौकरशाह और पदाधिकारियों द्वारा किये गये हैं।
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 30 अगस्त, 2024 को आहूत बैठक में लोकपाल की एक जांच शाखा गठित करने का निर्णय लिया।
इसमें कहा गया है कि लोकपाल अध्यक्ष को जांच प्रकोष्ठ में जरूरी सुविधाएं एवं साजो-सामान प्रदान करने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया शुरू करने के वास्ते अधिकृत किया गया है।
लोकपाल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर द्वारा पांच सितंबर को जारी आदेश में कहा गया, ''भारत के लोकपाल की पूर्ण पीठ के दिनांक 30.08.2024 के निर्णय के अनुसरण में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 34 के अनुसार प्रदत्त प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिनियम 2013 की धारा 11 के तहत एक जांच प्रकोष्ठ तत्काल प्रभाव से गठित किया जाता है।''
आदेश के अनुसार, जांच प्रकोष्ठ में लोकपाल अध्यक्ष के अधीन एक जांच निदेशक होगा, जिन्हें तीन पुलिस अधीक्षक (एसपी)- एसपी (सामान्य), एसपी (आर्थिक और बैंकिंग) तथा एसपी (साइबर)- मदद करेंगे। प्रत्येक एसपी को जांच अधिकारी और अन्य कर्मचारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
कानून में यह प्रावधान है कि ''जब तक लोकपाल द्वारा जांच प्रकोष्ठ का गठन नहीं किया जाता है, तब तक केंद्र सरकार अपने मंत्रालयों या विभागों से उतनी संख्या में अधिकारी और अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराएगी, जितनी लोकपाल को प्रारंभिक जांच करने के लिए आवश्यक हो।''
लोकपाल अधिनियम के तहत लोक सेवकों के खिलाफ अभियोजन के लिए "अभियोजन निदेशक" की अध्यक्षता में अभियोजन विंग गठित करने का भी प्रावधान है, हालांकि इसका गठन अभी तक नहीं किया गया है।
इसमें कहा गया है, ''बशर्ते जब तक लोकपाल द्वारा अभियोजन शाखा का गठन नहीं किया जाता है तब तक केंद्र सरकार अपने मंत्रालयों या विभागों से उतनी संख्या में अधिकारी और अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराएगी, जितनी लोकपाल को इस अधिनियम के तहत अभियोजन के लिए जरुरत हो।''
कानून के मुताबिक, लोकपाल द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद अभियोजन निदेशक जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार विशेष अदालत के समक्ष मामला दायर करेगा तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दंडनीय किसी अपराध के सिलसिले में लोक सेवकों के अभियोजन के संबंध में सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
भाषा प्रीति