जलवायु परिवर्तन से निपटने का मुद्दा अहम : प्रधानमंत्री मोदी
ब्रजेन्द्र नरेश
- 11 Sep 2024, 02:08 PM
- Updated: 02:08 PM
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ऊर्जा के नए क्षेत्रों जैसे हरित हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि यह भविष्य का मामला नहीं है बल्कि अब इस दिशा में कार्रवाई की आवश्यकता है।
‘ग्रीन हाइड्रोजन इंडिया 2024’ पर दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को एक वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया एक महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रही है। जलवायु परिवर्तन केवल भविष्य का मामला नहीं है बल्कि इसका प्रभाव अभी से महसूस किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचने के लिए प्रयास करने का समय यही और अभी है।’’
उन्होंने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता वैश्विक नीतिगत चर्चा का केंद्र बन गए हैं।
प्रधानमंत्री ने स्वच्छ और हरित धरती बनाने की दिशा में राष्ट्र की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि भारत हरित ऊर्जा पर अपने पेरिस संकल्पों को पूरा करने वाले पहले जी20 देशों में से एक है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये संकल्प 2030 के लक्ष्य से 9 साल पहले ही पूरी हो गए।’’
पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत और सौर ऊर्जा क्षमता में 3,000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘‘हम इन उपलब्धियों पर आराम नहीं कर रहे हैं बल्कि राष्ट्र मौजूदा समाधानों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और साथ ही नए तथा अभिनव क्षेत्रों पर भी ध्यान दे रहा है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे ही हरित हाइड्रोजन की तस्वीर सामने आती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हरित हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में आशाजनक विकल्प के रूप में उभर रहा है। हरित हाइड्रोजन उन उद्योगों को वातावरण से कार्बन डाय-ऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों को हटाने (डीकार्बोनाइज़ेशन) में मदद कर सकता है, जिनका विद्युतीकरण करना मुश्किल है।’’
उन्होंने रिफाइनरियों, उर्वरकों, इस्पात, भारी शुल्क वाले परिवहन और कई अन्य क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जिन्हें इससे लाभ होगा।
मोदी ने यह सुझाव भी दिया कि हरित हाइड्रोजन का उपयोग अधिशेष अक्षय ऊर्जा के भंडारण समाधान के रूप में किया जा सकता है।
साल 2023 में शुरू किए गए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के लक्ष्यों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन नवाचार, बुनियादी ढांचे, उद्योग और निवेश को बढ़ावा दे रहा है।’’
उन्होंने अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास में निवेश, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच साझेदारी और इस क्षेत्र के स्टार्ट-अप एवं उद्यमियों को प्रोत्साहन पर भी प्रकाश डाला और साथ ही हरित नौकरियों के परितंत्र के विकास की बड़ी संभावनाओं पर भी बात की।
उन्होंने इस क्षेत्र में देश के युवाओं के लिए कौशल विकास की दिशा में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण की वैश्विक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कहा कि वैश्विक चिंताओं का जवाब भी वैश्विक होना चाहिए।
उन्होंने कार्बन उत्सर्जन में कमी पर हरित हाइड्रोजन के प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि उत्पादन को बढ़ाना, लागत को कम करना और सहयोग के माध्यम से बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से हो सकता है।
उन्होंने प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान और नवाचार में संयुक्त रूप से निवेश करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
सितंबर 2023 में भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने हरित हाइड्रोजन पर विशेष ध्यान देने पर प्रकाश डाला और बताया कि नई दिल्ली जी-20 लीडर्स डिक्लेरेशन में हाइड्रोजन पर पांच उच्च-स्तरीय स्वैच्छिक सिद्धांतों को अपनाया गया है जो एक एकीकृत रोडमैप बनाने में मदद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को याद रखना चाहिए - हम जो निर्णय अभी लेंगे, वे हमारी भावी पीढ़ियों के जीवन का फैसला करेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने हरित हाइड्रोजन क्षेत्र को आगे बढ़ाने में वैश्विक सहयोग तेज करने का आह्वान किया और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों तथा वैज्ञानिक समुदाय से इस दिशा में आगे आने का आग्रह किया।
उन्होंने हरित हाइड्रोजन उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक विशेषज्ञता की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को सार्वजनिक नीति में बदलाव का प्रस्ताव देने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जिससे इस क्षेत्र को और अधिक समर्थन मिलेगा।
मोदी ने दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय के समक्ष महत्वपूर्ण प्रश्न रखते हुए पूछा, ‘‘क्या हम हरित हाइड्रोजन उत्पादन में इलेक्ट्रोलाइजर और अन्य घटकों की दक्षता में सुधार कर सकते हैं? क्या हम उत्पादन के लिए समुद्री जल और नगरपालिका अपशिष्ट जल के उपयोग की संभावना तलाश सकते हैं?’’
उन्होंने इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से सार्वजनिक परिवहन, शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए हरित हाइड्रोजन के उपयोग की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे विषयों पर मिलकर काम करने से दुनिया भर में हरित ऊर्जा संक्रमण में बहुत मदद मिलेगी।’’
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हरित हाइड्रोजन पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जैसे मंच इन मुद्दों पर सार्थक आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे।
इस अवसर पर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि उर्वरक, इस्पात, ऑटोमोबाइल, शिपिंग और ग्लास उद्योगों में विभिन्न प्रकार के उपयोग के साथ, ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात के बहुत सारे अवसर होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘विस्तार करने वाला यह क्षेत्र आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाएगा और देश में छह लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, हरित हाइड्रोजन मिशन के साथ, हम प्राकृतिक गैस और अमोनिया के आयात को कम करने के प्रति आश्वस्त हैं और इससे कुल 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।’’
मिशन गतिशीलता परियोजनाओं, शिपिंग और बंदरगाह परियोजनाओं और कम कार्बन इस्पात परियोजनाओं के लिए भी सहायता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इससे 2030 तक 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा।
इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण पर, उन्होंने कहा कि बोलीदाताओं से भारी प्रतिक्रिया मिली, क्योंकि प्रस्तुत बोलियां निविदा मात्रा से लगभग दोगुनी थीं।
उन्होंने कहा कि 15 कंपनियों को लगभग 3 गीगावॉट वार्षिक विनिर्माण क्षमता प्रदान की गई है और इसे 5 वर्षों की अवधि के लिए समर्थन दिया जाएगा।
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