मोदी ने चिप विनिर्माताओं को भारत की ओर किया आकर्षित, आपूर्ति श्रृंखला के जुझारूपन पर दिया जोर
निहारिका नरेश
- 11 Sep 2024, 01:36 PM
- Updated: 01:36 PM
(तस्वीरों के साथ)
ग्रेटर नोएडा (उप्र), 11 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेमीकंडक्टर के घरेलू विनिर्माण में निवेश को बढ़ावा देने का बुधवार को आह्वान किया और कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं का जुझारूपन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
मोदी ने कहा कि सेमीकंडक्टर स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन और कृत्रिम मेधा (एआई) तक हर चीज का आधार है।
राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में सेमीकॉन 2024 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विव महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को उजागर किया है। साथ ही उन्होंने ऐसे किसी भी व्यवधान को रोकने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ आपूर्ति श्रृंखला का जुझारूपन बेहद महत्वपूर्ण है। भारत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बनाने के लिए काम कर रहा है।’’
कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान दुनिया को आपूर्ति संबंधी झटके देखने को मिले, क्योंकि चीन में महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कड़े कदमों ने उस देश से आयात पर निर्भर उद्योगों और क्षेत्रों को प्रभावित किया। प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में से चिप प्रमुख था जो हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रधानमंत्री ने भारत की सुधारवादी सरकार, स्थिर नीतियों व बाजार के बारे में भी बात की जिसने सेमीकंडक्टर विनिर्माण में निवेश के लिए मजबूत आधार तैयार करने हेतु प्रौद्योगिकी का सहारा लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा सपना है कि दुनिया के हर उपकरण में भारत में बनी चिप हो।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में महाशक्ति बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।’’
सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक सुधारवादी सरकार, बढ़ता विनिर्माण आधार और प्रौद्योगिकी का रुख करने वाले आकांक्षी बाजार देश में चिप विनिर्माण के लिए ‘‘थ्री-डी पावर’’ (तीन गुना ऊर्जा) प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ आज का भारत दुनिया में विश्वास जगाता है। जब मुश्किलें आती हैं, तो आप भारत पर भरोसा कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश पहले ही किया जा चुका है और कई परियोजनाएं ‘पाइपलाइन’ में हैं।
भाषा निहारिका