एनआईए ने लाओस की कंपनी के सीईओ के खिलाफ मानव तस्करी गिरोह का हिस्सा होने का आरोप लगाया
अमित अविनाश
- 10 Sep 2024, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने लाओस स्थित लॉन्ग शेंग कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह में संलिप्तता के आरोप में मंगलवार को आरोपपत्र दाखिल किया। यह गिरोह युवाओं को नौकरी के बहाने फंसाता था और अंततः उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए मजबूर करता था। यह जानकारी एक आधिकारिक बयान से मिली।
जांच के चौंकाने वाले विवरण से पता चलता है कि जिन युवाओं की तस्करी की गई उनके लाओस में साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने से इनकार करने पर उन्हें भूखा रखा गया और बंद कमरों में पीटा गया।
एनआईए द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "कुछ युवाओं को सोशल मीडिया पर संभावित पीड़ितों से दोस्ती करने के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने पर बिजली के झटके भी दिए गए।"
इसमें कहा गया है कि आरोपी सुदर्शन दराडे को इस वर्ष जून में एनआईए ने गिरफ्तार किया था और उसे मुम्बई की एक अदालत में दायर आरोपपत्र में मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।
एनआईए की जांच से पता चला है कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के बोकेओ प्रांत में स्थित दराडे की कंपनी लॉन्ग शेंग नौकरी की पेशकश के बहाने युवाओं की तस्करी बैंकॉक के रास्ते लाओस में करने से जुड़े रैकेट में सक्रिय रूप से शामिल थी।
बयान में कहा गया है कि कंपनी व्हाट्सऐप साक्षात्कार आयोजित करती थी और युवाओं को नियुक्ति पत्र भेजती थी, जिन्हें गंतव्य पर पहुंचने पर ऑनलाइन ‘क्रिप्टो करेंसी’ धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता था।
बयान में कहा गया है कि दराडे इस मामले में छठा आरोपी है जिसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है और जेरी जैकब और गॉडफ्रे अल्वारेस के बाद गिरफ्तार किया गया तीसरा आरोपी है।
जांच एजेंसी ने कहा कि दराडे के निर्देश पर जैकब भारतीय युवाओं को लाओस ले जाने की व्यवस्था करता था।
दराडे के मोबाइल फोन से बड़ी मात्रा में संबंधित सामग्री बरामद की गई है।
बयान में कहा गया है कि दराडे ने एनआईए को एक अन्य वांछित आरोपी सनी गोंजाल्विस के साथ-साथ विदेशी नागरिक निउ निउ और एल्विस डू के बारे में भी जानकारी दी है, जो अभी फरार हैं।
एजेंसी फरार लोगों के बारे में सुराग पाने के लिए जानकारी का इस्तेमाल कर रही है।
बयान में कहा गया है, "एनआईए इस रैकेट में शामिल अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पहचाने गए/बचाए गए पीड़ितों के साथ लगातार संपर्क में है और रोजगार के लिए गैर सत्यापित अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ जुड़ने के खतरों के बारे में युवाओं में जागरूकता भी उत्पन्न कर रही है।"
भाषा अमित