लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल ईवीएम की ‘मेमोरी’ उपलब्ध कराने की सोमनाथ भारती की अर्जी खारिज
पारुल सुभाष
- 09 Sep 2024, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सोमनाथ भारती की उस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनाव के दौरान नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में इस्तेमाल की गई ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की ‘बर्न्ट मेमोरी’ उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने संबंधित निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि सभी वीवीपैट पर्चियों को वीवीपैट के ‘ड्रॉप बॉक्स’ से निकाला जाए और निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक लिफाफे में रखा जाए।
‘बर्न्ट मेमोरी’ का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है। इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
उच्च न्यायालय कथित भ्रष्ट आचरण के आधार पर, नयी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के निर्वाचन को चुनौती देने वाली भारती की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने कहा, ‘‘मुकदमे में विवाद मतों की गिनती को लेकर नहीं है। देशभर में भावी चुनावों को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग को ईवीएम को संरक्षित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को इस चुनाव में इस्तेमाल की गई 1,489 ईवीएम की ‘बर्न्ट मेमोरी’ उपलब्ध कराने का निर्देश देने का याचिकाकर्ता का अनुरोध खारिज किया जाता है और यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी-3 (निर्वाचन अधिकारी) नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में इस्तेमाल की गई ईवीएम को अन्य चुनावों में उपयोग के लिए भेजने को स्वतंत्र है।’’
अदालत ने कहा कि मतों की गिनती या पुन:मतगणना के संबंध में कोई विवाद नहीं है, लेकिन 20 अगस्त को निर्वाचन आयोग के वकील द्वारा दिए गए बयान के संदर्भ में आयोग को निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक सभी वीवीपैट पर्चियों को वीवीपैट के ‘ड्रॉप बॉक्स’ से बाहर निकाला जाए। उन्हें एक लिफाफे में रखा जाए और आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संरक्षित किया जाए।
निर्वाचन आयोग के वकील ने 20 अगस्त को कहा था कि मुद्रित वीवीपीएटी पर्चियों को ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर मैनुअल’ के अनुसार संरक्षित किया गया है और इन्हें इस याचिका के निस्तारण के लिए अदालत के निर्देशों के मुताबिक उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
अदालत ने इससे पहले स्वराज को नोटिस जारी कर उनकी जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर उनका जवाब मांगा था।
उसने ‘आप’ के पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद को - जिन्होंने 2024 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर लड़ा था, लेकिन नतीजों के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे - पक्षकारों की सूची से इस आधार पर हटा दिया था कि उनके खिलाफ कार्यवाही का कोई कारण नहीं बताया गया है।
स्वराज, भारती और कुमार ने नयी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।
भारती को जहां 3,74,815 वोट मिले थे, वहीं स्वराज को 4,53,185 वोट हासिल हुए थे।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 80 और 81 के तहत दायर याचिका में स्वराज, उनके चुनाव एजेंट और अन्य पर भ्रष्ट आचरण में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आनंद ने ‘आप’ के ‘वोट बैंक’ में सेंध लगाकर स्वराज की मदद करने के लिए बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। याचिका में कहा गया है कि बाद में वह 10 जुलाई को भाजपा में शामिल हो गए।
इसमें दावा किया गया है कि चुनाव के दिन याचिकाकर्ता पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मतदान केंद्रों के दौरे के दौरान यह देखकर हैरान रह गया कि स्वराज के मतदान एजेंट के पास उनकी फोटो, मतपत्र संख्या, चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर प्रदर्शित करने वाले पर्चे थे, जिन्हें वे मतदाताओं को दिखाकर उनसे स्वराज के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे थे।
भाषा पारुल