पुलिस अधिकारी की वरिष्ठ आरएसएस नेता से मुलाकात पर एलडीएफ ने जवाब मांगा
खारी अविनाश
- 09 Sep 2024, 06:04 PM
- Updated: 06:04 PM
तिरुवनंतपुरम, नौ सितंबर (भाषा) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी एम. आर. अजित कुमार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ठ नेता के बीच पिछले साल हुई विवादित बैठक को लेकर केरल की राजनीति में हलचल जारी है और राज्य में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के संयोजक टी. पी. रामकृष्णन ने इस बैठक के कारण तथा मंशा के संबंध में विस्तृत जांच की मांग की है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता रामकृष्णन ने कहा कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने दत्तात्रेय होसबाले से मुलाकात की थी।
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘तो, वे क्यों गए थे? इसकी (बैठक की) मंशा क्या थी? इन चीजों की विस्तार से जांच होनी चाहिए।’’
माकपा नेता ने कहा कि आरोप के संबंध में सरकार के स्तर पर जांच पहले से ही जारी है और मुद्दे के सभी पहलुओं को जांच के दायरे में लाए जाने की संभावना है।
रामकृष्णन ने कहा, ‘‘अगर अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू करेगी। इस संबंध में सरकार और एलडीएफ का रुख बिल्कुल स्पष्ट है।’’
एलडीएफ विधायक पी. वी. अनवर द्वारा कई संवाददाता सम्मेलन में एडीजीपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह माकपा सदस्य नहीं हैं और इसलिए उनके स्वतंत्र रुख एवं कार्यों को नियंत्रित करने में पार्टी की कुछ सीमाएं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अनवर एक विधायक हैं जो एलडीएफ के सहयोगी हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, हम उन्हें उनके स्वतंत्र रुख के खिलाफ कुछ नहीं कह सकते या उन्हें किसी खास तरीके से काम करने के लिए नहीं कह सकते।’’
हालांकि, रामकृष्णन ने कहा कि अनवर को ही खुद इस बारे में सोचना चाहिए कि उन्होंने जो किया वह सही था या नहीं।
इस बीच माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य ए. विजयराघवन ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन किसी भी कदाचार का समर्थन करने वाले व्यक्ति नहीं हैं।
उन्होंने मीडिया पर मामले को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा करने का भी आरोप लगाया।
नयी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में वरिष्ठ वामपंथी नेता और राज्य के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने इस विवाद को कम तवज्जो देते हुए कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि कोई अधिकारी किसी से नहीं मिल सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी अधिकारी का लोगों से मिलना एक सामान्य बात है। किसी से बात करने को लेकर हम कोई कड़ा कदम नहीं उठा सकते। सरकार पहले से ही मामले की जांच कर रही है।’’
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर ने शीर्ष अधिकारी का पक्ष लिया और कहा कि आरएसएस नेता से व्यक्तिगत रूप से मिलना कोई बड़ी बात नहीं है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरएसएस देश का एक महत्वपूर्ण संगठन है। किसी पदाधिकारी का उसके किसी नेता से व्यक्तिगत रूप से मिलने में कुछ भी गलत नहीं है।’’
इस बीच, मीडिया के एक वर्ग ने खबरों में बताया कि आरएसएस महासचिव होसबाले के अलावा, एडीजीपी कुमार ने हाल ही में राज्य की राजधानी में आरएसएस नेता राम माधव से मुलाकात की थी।
इस खबर के संबंध में अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
हालांकि, विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री विजयन की चुप्पी को लेकर निशाना साधा वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मुख्यमंत्री ने आरएसएस नेता से मिलने के लिए शीर्ष आईपीएस अधिकारी को दूत के रूप में भेजा था।
नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने विजयन की चुप्पी को ‘‘कायरता’’ करार दिया और उन पर केवल अपनी सुविधा के अनुसार मीडिया से बातचीत करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि विवाद होने पर मीडिया से बचना, ‘कायरता’ ही है और सवाल किया कि मुख्यमंत्री में बोलने की हिम्मत क्यों नहीं है?
सत्तारूढ़ मोर्चे के एक विधायक द्वारा मुख्यमंत्री और उनके कार्यालय के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाने को लेकर कई दिन बीत चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विजयन तो यह कहने के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं कि आरोप झूठे हैं।
सतीशन ने कहा, ‘‘एडीजीपी द्वारा होसबाले के साथ अपनी बैठक स्वीकार करने के तुरंत बाद, राम माधव के साथ उनकी बैठक के बारे में भी खबरें सामने आई हैं। इस बात को भी सामने लाएं कि बैठक के दौरान उस दिन अधिकारी के साथ और कौन था।’’
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि अगर उनके साथ आए लोगों का विवरण सामने आता है तो यह केरल के लिए एक और चौंकाने वाली खबर होगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता वी मुरलीधरन ने कहा कि आरएसएस आरोपों का जवाब देगा।
उन्होंने मांग की कि लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री विजयन और एजीजीपी अजित कुमार को जवाब देना चाहिए।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने एडीजीपी को आरएसएस नेता के पास अपना दूत बनाकर भेजा था।
इस बीच, सत्तारूढ़ एलडीएफ विधायक अनवर ने सोमवार को मांग की कि कुमार को एडीजीपी के पद से हटाया जाए।
नीलांबुर विधायक ने संदेह जताया कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाने के लिए ही कुमार को प्रमुख पद पर बनाए रखा गया।
उन्होंने मलप्पुरम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भले ही मुझे हटा दिया जाए, लेकिन मैंने जो सबूत एकत्र किए हैं, उन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता। मैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के इंतजाम कर रहा हूं।’’
भाषा
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