गिरफ्तारी और आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के अनुरोध वाली कांग्रेस विधायक के बेटे की याचिका खारिज
सुभाष दिलीप
- 08 Sep 2024, 05:10 PM
- Updated: 05:10 PM
नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा से कांग्रेस के एक विधायक के बेटे के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और गिरफ्तारी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी है।
अदालत ने इन मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए 10 न्यायिक निर्णयों का उल्लेख किया।
चंडीगढ़ में न्यायाधीश महावीर सिंह सिंधु की अदालत ने 27 अगस्त को कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता सिकंदर सिंह छोकर के खिलाफ धन शोधन का अपराध ‘‘स्पष्ट रूप से बनता है’’ और उनकी याचिका ‘‘न्यायालय और कानून की प्रक्रिया का पूर्ण दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है।’’
सिकंदर छोकर, धरम सिंह छोकर के बेटे हैं जो हरियाणा में पानीपत जिले के समालखा से कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। धरम सिंह छोकर को हाल में उनकी पार्टी ने इसी सीट से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया है।
सिकंदर छोकर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 अप्रैल को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर की गई थी। यह मामला उनके स्वामित्व वाली एक कंपनी (माहिरा समूह) द्वारा घर खरीदारों के धन की कथित धोखाधड़ी से संबद्ध है।
वह (सिकंदर) शुरूआत में ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित हुए, लेकिन बाद में बार-बार समन जारी होने और ईडी के अनुरोध पर गुरुग्राम में विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट के बावजूद गवाही नहीं दी।
इसी तरह के वारंट धरम सिंह छोकर और उनके दूसरे बेटे विकास छोकर के खिलाफ भी जारी किए गए थे, जो इस मामले में सह-आरोपी हैं।
धरम सिंह छोकर ने भी एक बार ईडी के समक्ष गवाही दी थी, लेकिन इस मामले में उनके द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद, वह ‘‘फरार’’ हैं।
सिकंदर छोकर ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट, अपनी गिरफ्तारी और अदालत द्वारा ईडी को दी गई रिमांड को रद्द करने का अनुरोध किया था। याचिका में, मुख्य रूप से यह दलील दी गई थी कि ‘‘गिरफ्तारी के आधार’’ उन्हें सही समय पर नहीं बताए गए, जो पीएमएलए की धारा 19 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।
अदालत ने कहा, ‘‘इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि सीआरपीसी की धारा 482 का उद्देश्य और प्रयोजन न्याय के लक्ष्यों को सुरक्षित करना है, न कि उसे विफल करना....वर्तमान मामले में, अपराध से आय हासिल होने का पता लगाया गया है और प्रथम दृष्टया, याचिकाकर्ता के खिलाफ धन शोधन का मामला स्पष्ट रूप से बनता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता माहिरा समूह की कंपनियों के साथ-साथ अन्य फर्जी कंपनियों का लाभकारी मालिक है और उसे धन शोधन में संलिप्त पाया गया है, इस तरह वर्तमान याचिका न्यायालय और कानून की प्रक्रिया का पूर्ण दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है।’’
इसमें कहा गया है कि लगभग 1,500 संभावित घर खरीदारों ने अपनी मेहनत की कमाई इस उम्मीद से निवेश की थी कि उन्हें आवास मिलेगा, लेकिन याचिकाकर्ता (सिकंदर) ने अन्य सह-आरोपियों के साथ साजिश करके 363 करोड़ रुपये की पूरी धनराशि का ‘‘दुरुपयोग और धनशोधन’’ किया।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संबंधित मामले सहित धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी के अलावा, गिरफ्तारी वारंट जारी करने के विषय पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए 10 न्यायिक निर्णयों पर चर्चा करने के बाद सिकंदर छोकर की याचिका को खारिज करने का आदेश दिया।
भाषा सुभाष