जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा, सुरक्षा स्थिति क्यों बिगड़ी: कांग्रेस ने शाह से पूछा
प्रशांत धीरज
- 06 Sep 2024, 06:47 PM
- Updated: 06:47 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पर सरकार की नीति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा और वहां सुरक्षा स्थिति “आपके रहते क्यों खराब हो गई”।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक कार्यपालिका की शक्तियों का “उल्लंघन” करने का प्रयास क्यों कर रहा है और केंद्र शासित प्रदेश की आर्थिक स्थिति में ‘गिरावट’ 2019 के बाद से क्यों आई।
उन्होंने एक बयान में कहा, “स्वयंभू चाणक्य आज जम्मू-कश्मीर में हैं। 2018 में पीडीपी-भाजपा सरकार के गिरने के बाद से जम्मू-कश्मीर का प्रशासन मुख्य रूप से गृह मंत्रालय के हाथों में है।” उन्होंने यह भी कहा कि “स्वघोषित चाणक्य” को अपने शासन के बारे में चार प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए।
रमेश ने आरोप लगाया कि 2018 से जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने का कोई भी मौका नहीं दिया गया और यह क्षेत्र भाजपा-आरएसएस गुट द्वारा नियंत्रित नौकरशाही की जागीर बन गया है।
उन्होंने आरोप लगाया, “जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त करने का दावा करते हुए, सरकार ने वास्तव में एक नई और अनूठी राजनीतिक व्यवस्था की एक अतिरिक्त विशेष स्थिति पैदा कर दी है: जहां राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है, चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं और संवैधानिक नैतिकता के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया है।”
रमेश ने बताया कि 11 दिसंबर 2023 को संसद में दिए अपने भाषण में शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा “उचित समय” पर बहाल कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “राज्य का दर्जा छिन जाने के पांच साल बाद भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य का दर्जा वापस मिलने की समयसीमा क्या होगी। पिछले पांच वर्षों के अनुभव के आधार पर, जहां विधानसभा चुनाव किसी न किसी बहाने से टाले गए, जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य का दर्जा बहाल करने के केंद्र के आश्वासन पर विश्वास नहीं करते।”
रमेश ने पूछा कि क्या गृह मंत्री इस महत्वपूर्ण प्रश्न का सीधा उत्तर दे सकते हैं कि पूर्ण राज्य का दर्जा कब वापस आएगा।
उन्होंने आगे कहा कि “गैर-जैविक प्रधानमंत्री, स्वयंभू चाणक्य और उनके मंत्रियों” की सबसे अधिक दोहराई जाने वाली बातों में से एक यह थी कि अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगा है।
उन्होंने कहा, “हालांकि, जमीनी स्तर पर माहौल चिंताजनक है। 2021 से अब तक पीर पंजाल के दक्षिण में कम से कम 51 सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं, जबकि 2007 से 2014 के बीच यहां आतंकवाद की कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी।”
रमेश ने कहा, “पिछले कुछ सप्ताहों में यह पड़ोसी जिलों तक भी फैल गया है, जिन्हें हम काफी हद तक शांतिपूर्ण मानते थे: जैसा कि नौ जून को रियासी में हुए हमले, 10 जून को कठुआ में हुए हमले और 11 जून को डोडा में हुए हमले से स्पष्ट है।”
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पाकिस्तान से घुसपैठ बढ़ रही है और जम्मू-कश्मीर में असुरक्षा की भावना व्याप्त है।
रमेश ने पूछा, “आतंकवाद में इस उछाल के बावजूद गृह मंत्री चुप हैं। उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को बचाने में विफल क्यों रही है? सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उनका क्या दृष्टिकोण है? केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति के बारे में देश से लगातार झूठ क्यों बोल रही है?”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि केंद्र जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक कार्यपालिका की शक्तियों का उल्लंघन करने का प्रयास क्यों कर रहा है।
उन्होंने कहा, “जुलाई 2024 में, गृह मंत्रालय ने जम्मू - कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत नियमों में संशोधन किया, जिससे पुलिस और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने और विभिन्न मामलों में अभियोजन के लिए मंजूरी देने की शक्तियां पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को दे दी गईं।”
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक कार्यपालिका की पुलिसिंग और प्रशासनिक शक्तियों में कटौती करके गृह मंत्रालय ने भावी सरकार के कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
भाषा प्रशांत