न्यायालय ने हिप्र कोलेजियम को पदोन्नति के लिए दो न्यायाधीशों के नामों पर पुनर्विचार को कहा
सुरभि नरेश
- 06 Sep 2024, 01:37 PM
- Updated: 01:37 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कोलेजियम से उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए जिला एवं सत्र अदालत के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों के नामों पर पुनर्विचार के लिए कहा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व्यक्तिगत तौर पर इन सिफारिशों पर पुनर्विचार नहीं कर सकते और इस पर सिर्फ उच्च न्यायालय के कोलेजियम द्वारा सामूहिक रूप से गौर किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने जिला एवं सत्र अदालत के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उच्च न्यायालय के कोलेजियम ने उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद के लिए चयन के दौरान उनकी योग्यता और वरिष्ठता पर विचार नहीं किया।
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के कोलेजियम द्वारा कोई सामूहिक परामर्श और विचार विमर्श नहीं किया गया।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, चार जनवरी, 2024 के उच्चतम न्यायालय कोलेजियम के फैसले के बाद उच्च न्यायालय कोलेजियम को न्यायाधीश चिराग भानु सिंह और न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा की उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए उनके नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए।’’
सुनवाई के दौरान दोनों न्यायाधीशों की ओर से पेश हुए वकील ने चार जनवरी के उच्चतम न्यायालय कोलेजियम के प्रस्ताव और इसके बाद केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को भेजे गए पत्र का हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि इनके अनुसार उच्च न्यायालय कोलेजियम द्वारा याचिकाकर्ताओं के नामों पर विचार किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोनों याचिकाकर्ताओं की योग्यता पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का फैसला व्यक्तिगत प्रतीत होता है। छह जनवरी, 2024 के अपने पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने इसकी जानकारी दी थी। यह प्रक्रियागत और सारगत दोनों ही दृष्टि से दोषपूर्ण हैं।’’
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिका सुनवाई योग्य है क्योंकि इसमें प्रभावी विचार-विमर्श की कमी पर सवाल उठाया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश किसी सिफारिश पर व्यक्तिगत रूप से पुनर्विचार नहीं कर सकते हैं और इस पर उच्च न्यायालय का कोलेजियम द्वारा सामूहिक रूप से विचार किया जा सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने याचिका पर 13 मई को हिमाचल प्रदेश के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा था।
दोनों न्यायाधीशों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उच्च न्यायालय कोलेजियम द्वारा उनके नामों पर विचार नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा उनके नामों को उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा पुनर्विचार के लिए भेजने के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर याचिकाकर्ता न्यायाधीशों के नामों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि उच्च न्यायालय कोलेजियम ने इस पर विचार नहीं किया और जानबूझकर अन्य न्यायाधीशों के नामों पर विचार किया।
भाषा सुरभि