ओटीटी सीरीज पर अनावश्यक विवाद हो रहा है : कंधार विमान अपहरण की पीड़ित
सुरभि नरेश
- 05 Sep 2024, 01:41 PM
- Updated: 01:41 PM
(फाइल फोटो के साथ)
चंडीगढ़, चार सितंबर (भाषा) वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण की घटना पर आधारित ओटीटी सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ में अपहरणकर्ताओं के नाम को लेकर जारी विवाद पर एक पीड़ित ने बुधवार को कहा कि कार्यक्रम को लेकर ‘‘अनावश्यक’’ विवाद हो रहा है।
नेटफ्लिक्स पर प्रसारित अनुभव सिन्हा की सीरीज पर टिप्पणी करते हुए पूजा कटारिया ने कहा, ‘‘मैंने इसे देखा है। जो विवाद हो रहा है वह अनावश्यक है। ऐसा कुछ नहीं है। सीरीज में सच्ची घटना दिखाई गई है और उन्होंने (अपहरणकर्ताओं ने) कोड नाम रखे थे और वे एक दूसरे से उन्हीं नामों से बात कर रहे थे। कटारिया घटना के वक्त काठमांडू से हनीमून से लौट रही थीं।
उन्होंने कहा, मुझे याद है कि जिस अपहरणकर्ता का कोड नाम ‘बर्गर’ था, उसने यात्रियों से बात की, अंताक्षरी खेली और जब उसे पता चला कि उस दिन मेरा जन्मदिन है तो उसने मुझे उपहार में एक शॉल भेंट की।
उन्होंने कहा, ‘‘वह लोगों के साथ बड़े दोस्ताना तरीके से पेश आ रहा था क्योंकि कई लोगों को घबराहट के कारण दौरे पड़ रहे थे। उसने ‘अंताक्षरी’ भी खेली।’’
विवादों में आई इस वेब सीरीज को लेकर कई लोगों ने दावा किया कि फिल्मकार ने खास समुदाय से आने वाले आतंकवादियों को कथित रूप से बचाने के लिए अपहरणकर्ताओं के नाम बदलकर ‘शंकर’, और ‘भोला’ रखे।
अपहरणकर्ताओं के वास्तविक नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, जहूर मिस्त्री और शाकिर थे। हालांकि सीरीज में आतंकवादियों के कोड नाम ‘भोला’, ‘शंकर’, ‘डॉक्टर’ और ‘चीफ’ का इस्तेमाल किया गया है।
दबाव में नेटफ्लिक्स इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने अपहरणकर्ताओं के वास्तविक और कोड नाम को शामिल किया है।
कटारिया (47) ने उस भयावह घटना को याद करते हुए कहा कि अपहरणकर्ता एक दूसरे को कोड नाम से ही संबोधित कर रहे थे।
24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से उड़ान भरने के करीब 40 मिनट बाद यात्रियों को विमान अपहरण की जानकारी मिली थी।
सीरीज को लेकर हो रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि सीरीज में बिल्कुल सच्ची घटना दिखाई गई है। सचाई दिखाई गई है। इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए।
उन्होंने यहां पीटीआई-वीडियो से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसे मनोरंजन के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। अन्य फिल्में भी बनती हैं। विवाद की कोई जरूरत नहीं है।’’
उन्होंने उस मनहूस दिन को याद कर कहा, ‘‘सभी दहशत में थे और हम यही सोच रहे थे हम सब मारे जाएंगे। हम नहीं जानते थे कि बाहर क्या हो रहा है। दो दिन तक हमें अपना सिर नीचे करके रखने को कहा गया था। हम आठ दिन आतंक के हालात में रहे। जब हम बाहर आए, तब हमें एहसास हुआ कि क्या हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग हनीमून के बाद काठमांडू से लौट रहे थे और उस दिन मेरा जन्मदिन भी था।’’
कटारिया ने कहा, ‘‘जब मैंने अपहरणकर्ता से कहा कि आज मेरा जन्मदिन है, हमें यहां से वे जाने दें तो उसने कहा कि हम आपका जन्मदिन यहीं मनाएंगे। ‘बर्गर’ ने मुझे एक शॉल भेंट की जिस पर लिखा था - मेरी प्यारी बहन और उसके खूबसूरत पति के लिए’।’’ उन्होंने वह शॉल भी दिखाई जिस पर बर्गर ने हस्ताक्षर भी किए थे।
कटारिया ने बताया कि उन्होंने बोर्डिंग पास के साथ ही इस शॉल को भी संभालकर रखा है।
भाषा सुरभि