जलगांव के विकास के लिए एकनाथ खडसे, गिरिश महाजन को अपने मतभेदों को भुला देना चाहिए: रक्षा खडसे
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
- 05 Sep 2024, 01:13 PM
- Updated: 01:13 PM
मुंबई, पांच सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे ने कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में लौटने की इच्छा जता चुके उनके ससुर एकनाथ खडसे और महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन अगर आपसी मतभेदों को भुला दें और एकजुट होकर काम करें तो इससे उनके पैतृक जिले जलगांव के विकास में मदद मिलेगी।
खडसे और महाजन दोनों ही उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले हैं। खडसे पूर्व में मुक्ताईनगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जबकि महाजन जामनेर सीट से विधायक हैं।
एकनाथ खडसे अक्टूबर 2023 में भाजपा छोड़ने के बाद अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में शामिल हो गए थे। उन्होंने पार्टी नेता देवेंद्र फड़णवीस पर उनके जीवन और राजनीतिक करियर को बर्बाद करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। खडसे का महाजन के साथ भी टकराव चल रहा है। फडणवीस महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं।
इस साल के लोकसभा चुनावों से पहले खडसे ने भाजपा में वापसी की इच्छा जताई थी। लेकिन भाजपा की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। वरिष्ठ नेता ने हाल में चेतावनी दी थी कि यदि उन्हें फिर से भाजपा में शामिल करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वह आगामी विधानसभा चुनावों में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए प्रचार शुरू करेंगे।
इस घटनाक्रम के बारे में बात करते हुए उनकी बहू और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रक्षा खडसे ने पत्रकारों से कहा कि अगर एकनाथ खडसे और गिरीश महाजन अपने विवाद को दफन कर देते हैं तो इससे जलगांव के विकास में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘एकनाथ खडसे को भाजपा में वापसी के बारे में फैसला करना है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती। लेकिन अगर एकनाथ खडसे और गिरीश महाजन एक साथ आते हैं तो यह जलगांव जिले की प्रगति के लिए अच्छा होगा। वे एक साथ बैठ सकते हैं और समाधान (मतभेदों का) निकाल सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव से पहले एकनाथ खडसे ने मेरे प्रचार में मेरी मदद की। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी उनसे बात की और उन्होंने उसी के अनुसार काम किया।’’
फडणवीस के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ओबीसी नेता खडसे को भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उन्हें 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट से वंचित कर दिया गया था। उनकी बेटी रोहिणी खडसे को मुक्ताईनगर से टिकट दिया गया था, लेकिन वह शिव सेना के बागी उम्मीदवार से हार गईं।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र