पंजाब ने अवैध कॉलोनियों में बिना एनओसी के संपत्ति के पंजीकरण प्रावधान वाला विधेयक पारित किया
वैभव सुभाष
- 03 Sep 2024, 11:23 PM
- Updated: 11:23 PM
चंडीगढ़, तीन सितंबर (भाषा) पंजाब विधानसभा ने अवैध कॉलोनियों में संपत्तियों के पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की परंपरा को खत्म करने के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सदन में कहा कि यह आम लोगों के लिए बड़ी राहत होगी। मान ने तीन दिवसीय सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में पंजाब अपार्टमेंट और संपत्ति विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए मान ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसने 31 जुलाई, 2024 तक किसी अनधिकृत कॉलोनी में 500 वर्ग गज तक के क्षेत्र के लिए ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ या स्टांप पेपर पर बिक्री के लिए समझौता किया है, उसे जमीन के पंजीकरण के लिए किसी ‘एनओसी’ की आवश्यकता नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे संपत्ति मालिक रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार या संयुक्त सब-रजिस्ट्रार के समक्ष ऐसे क्षेत्र का पंजीकरण कराने के हकदार होंगे और ऐसे क्षेत्र को पंजीकृत कराने की यह छूट राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि तक उपलब्ध होगी।
मान ने कहा कि इस संशोधन का उद्देश्य छोटे भूखंड मालिकों को राहत देने के अलावा अवैध कॉलोनियों पर कड़ा नियंत्रण सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि यह आम आदमी के लिए बड़ी राहत है क्योंकि इस संशोधन का उद्देश्य लोगों को अपने प्लॉट के पंजीकरण में होने वाली समस्याओं को दूर करना है।
मान ने कहा कि इससे उन करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जिन्होंने गलती से अपनी मेहनत की कमाई अवैध कॉलोनियों में लगा दी। उन्होंने कहा कि इन मासूम लोगों ने अपना पैसा घर बनाने में लगाया लेकिन वे मुसीबत में फंस गए।
विधेयक के अनुसार, यदि इस अधिनियम के तहत पंजीकृत कोई व्यक्ति या प्रमोटर या उसका एजेंट कानून के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे कम से कम पांच साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसे 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
मान ने कहा कि अवैध कॉलोनियों के मालिक लोगों को सब्जबाग दिखाकर ठगते हैं और अपनी अवैध कॉलोनियों को बेच देते हैं, जिनमें स्ट्रीट लाइट, सीवरेज और अन्य जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाएं नहीं होती हैं।
उन्होंने कहा कि निवेशकों को आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने स्टाम्प पेपरों पर कलर कोडिंग की शुरुआत की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि भूमि का अधिकतम उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाए जिसके लिए निवेशक आवश्यक अनुमतियां मांगते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों के लंबे ‘कुशासन’ के दौरान अवैध कॉलोनियों का विकास हुआ क्योंकि पहले के शासकों ने अवैध कॉलोनियों को संरक्षण दिया था।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इसका समर्थन किया लेकिन दावा किया कि राज्य में अब भी अवैध कॉलोनियां बस रही हैं। उन्होंने कहा कि शहरी झुग्गियों की बसावट को रोकने की जरूरत है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब अपार्टमेंट और संपत्ति विनियमन अधिनियम (पीएपीआरए) 1995 में संशोधन पंजाब की अर्थव्यवस्था में सुधार और आम लोगों को राहत प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
चीमा ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य अनधिकृत कॉलोनियां बसने से रोकना है, लेकिन कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा नीत पिछली सरकारों की ‘विफलताओं’ के कारण बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियां बनीं, जिनमें पानी की आपूर्ति, सीवेज और उचित सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं।
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि राज्य में करीब 14,000 अवैध कॉलोनियां हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून राज्य में अवैध कॉलोनियां बसने से रोकेगा। निर्दलीय विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने सरकार से जानना चाहा कि अवैध कॉलोनियों में जरूरी सुविधाएं कौन मुहैया कराएगा।
भाषा वैभव