बंगाल विधानसभा ने बलात्कार रोधी विधेयक पारित किया, विपक्ष ने इसे ‘ध्यान भटकाने की तरकीब’ बताया
सुभाष अविनाश
- 03 Sep 2024, 10:00 PM
- Updated: 10:00 PM
कोलकाता, तीन सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से बलात्कार रोधी विधेयक पारित कर दिया, जिसमें पीड़िता की मौत होने या उसके ‘कोमा’ जैसी स्थिति में जाने पर दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग की, जो ‘‘महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू नहीं कर सके हैं।’’
‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।
विधेयक, हाल में पारित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 कानूनों और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम 2012 के पश्चिम बंगाल में क्रियान्वन में संशोधन करने का प्रस्ताव करता है। इस कदम का उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच व सुनवाई का मार्ग प्रशस्त करना तथा सजा को कठोरतम करना है।
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद जारी व्यापक प्रदर्शनों के मद्देनजर, यह विधेयक पेश व पारित करने के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था।
विधेयक को भाजपा विधायकों ने भी अपना समर्थन दिया, जबकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘‘जघन्य अपराध’’ पर ‘‘जनता के गुस्से और विरोध से ध्यान भटकाने’’ के लिए यह विधेयक पेश किया है।
सदन में उस समय शोरगुल देखने को मिला, जब भाजपा विधायकों ने अस्पताल की घटना को लेकर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए। इस बीच, बनर्जी ने विधेयक पारित करने की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर अधिकारी के इस्तीफे की भी मांग की।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि केंद्र अपने मौजूदा कानूनों में संशोधन करे और अपराधियों को कठोर सजा तथा पीड़ितों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रावधान जोड़े। लेकिन उन्होंने इसके प्रति कोई उत्साह नहीं दिखाया। इसलिए हमने पहले यह कदम उठाया। यह विधेयक, पारित हो जाने के बाद देश के बाकी हिस्सों के लिए अनुकरणीय बन सकता है।’’
बनर्जी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हाल में लिखे अपने दो पत्रों को भी सदन के पटल पर रखा, जिनमें से एक पत्र केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा उनके पहले पत्र पर दी गई प्रतिक्रिया का जवाब था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग करती हूं, जो देशभर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले प्रभावी कानूनों को लागू करने में विफल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बलात्कार मानवता के खिलाफ अभिशाप है और ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए सामाजिक सुधारों की आवश्यकता है।’’
बनर्जी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस में विशेष अपराजिता कार्य बल गठित करेंगे कि बलात्कार के मामलों में जांच समयबद्ध तरीके से पूरी हो।’’
उन्होंने इस विधेयक को ‘‘ऐतिहासिक तथा अन्य राज्यों के लिए आदर्श’’ बताते हुए कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक के जरिए उनकी सरकार ने पीड़िता तथा उनके परिजन को त्वरित एवं प्रभावी न्याय उपलब्ध कराने के लिहाज से केंद्रीय कानून में मौजूद कमियों को दूर करने का प्रयास किया है।
बनर्जी ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पारित किए जाने से पहले पश्चिम बंगाल से विचार-विमर्श नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र में नयी सरकार बनने के बाद इस पर चर्चा चाहते थे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष राज्यपाल से कहे कि वह बिना किसी देरी के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करें। उन्होंने कहा कि इसका प्रभावी क्रियान्वयन राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी।
बनर्जी ने अस्पताल की घटना पर दुख व्यक्त किया और पीड़िता के परिजनों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा, ‘‘हम सीबीआई से न्याय, और दोषियों को फांसी की सजा चाहते हैं।’’
वहीं, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधेयक के पारित होने के बाद राज्य सरकार से इसे तुरंत लागू करने की मांग की।
नेता प्रतिपक्ष ने पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में यौन शोषण और दुष्कर्म के संबंध में मीडिया की खबरों का हवाला दिया और आरोप लगाया कि इनमें से किसी भी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच नहीं संभाली, फिर भी राज्य की जांच एजेंसियां दोषियों को गिरफ्तार करने और उन्हें कड़ी सजा दिलाने में ‘‘विफल’’ रहीं।
तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया कि देश में हर 15 मिनट में बलात्कार की एक घटना हो रही है जिससे ऐसे कानून की मांग में इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हर 15 मिनट में बलात्कार की एक घटना के भयावह आंकड़े को देखते हुए, समयबद्ध तरीके से बलात्कार-रोधी व्यापक कानून लाने की मांग पहले से कहीं अधिक आवश्यक है। बंगाल अपने बलात्कार-रोधी विधेयक से इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए आगामी संसद सत्र में अध्यादेश या बीएनएसएस संशोधन के जरिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए कि न्याय त्वरित गति से मिले और मुकदमे की सुनवाई तथा दोषसिद्धि पर फैसला 50 दिन में हो।’’
डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक ने हैशटैग ‘बंगाल शोज द वे’ के साथ दावा किया कि राज्य इस तरह का कानून पारित करने में अग्रणी रहा है।
विधेयक भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124(2) में संशोधन करता है, जो मुख्य तौर पर बलात्कार, बलात्कार और हत्या, सामूहिक बलात्कार, बार-बार ऐसा अपराध करने वालों, पीड़िता की पहचान का खुलासा करने और यहां तक कि तेजाब हमला कर चोट पहुंचाने आदि के लिए सजा से संबंधित है। इसमें दोषियों को मौत की सजा और पीड़िता की पहचान का खुलासा करने वालों के लिए कारावास का प्रावधान किया गया है।
विधेयक में, बलात्कार के दोषियों -- क्रमशः 16 वर्ष, 12 वर्ष और 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों की सजा से संबंधित अधिनियम की धारा 65(1), 65 (2) और 70 (2) को हटाने का भी प्रस्ताव है तथा यह उम्र की परवाह किए बिना, सजा को सार्वभौमिक बनाता है।
भाषा सुभाष