सड़क दुर्घटनाओं में लगी चोट इस प्रकार के हादसों में मौत का सबसे बड़ा कारण: रिपोर्ट
माधव
- 03 Sep 2024, 06:57 PM
- Updated: 06:57 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर(भाषा) भारत में सड़क दुर्घटनाओं में लगी चोटें मौत का सबसे बड़ा कारण हैं जो इस प्रकार के हादसों में हुई मौत का 43 प्रतिशत हैं। इन हादसों का सबसे बड़ा कारण तेज गति से वाहन चलाना है। एक नवीनतम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक अनजाने में आई चोटों के कारण होने वाली मौतों के अन्य कारक डूबना, गिरना, जहर देना और जलना है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ‘‘अनजाने में आने वाली चोट की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय रणनीति’’ शीर्षक से संकलित रिपोर्ट को चोट की रोकथाम और सुरक्षा संवर्धन विषय पर 15वें विश्व सम्मेलन ‘सेफ्टी 2024’ के दौरान प्रकाशित किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘भारत में 2022 में अनजाने में लगी चोटों से 4,30,504 लोगों की मौत हुई जबकि जानबूझकर पहुंचाई चोटों से 1,70,924 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 2016 से 2022 तक अनजाने और जानबूझकर लगी चोटों के कारण होने वाली मौतों में मामूली वृद्धि हुई है। सड़क यातायात दुर्घटनाएं (आरटीसी) अनजाने में लगी चोटों का सबसे बड़ा कारण (43.7 प्रतिशत) हैं।’’
इसमें कहा गया कि डूबने से मौतों की हिस्सेदारी 7.3 से 9.1 प्रतिशत है, जबकि अनजाने में हुई कुल मौतों में गिरने से हुई मौतों की हिस्सेदारी 4.2 से 5.5 प्रतिशत है। इसी प्रकार जहर से 5.6 प्रतिशत तथा जलने से 6.8 प्रतिशत मौतें होती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क सुरक्षा में सुधार के प्रयासों के बावजूद, भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं (आरटीआई) के कारण होने वाली मौतों की संख्या अभी भी बहुत अधिक है। मृत्यु दर अनुपात पुरुषों के लिए लगभग 86 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 14 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इन मौतों का प्रमुख कारण तेज गति से वाहन चलाना है, जो 75.2 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। अन्य प्रमुख कारकों में सड़क पर गलत दिशा में वाहन चलाना (5.8 प्रतिशत) और शराब या नशीले पदार्थों के प्रभाव में वाहन चलाना (2.5 प्रतिशत) शामिल हैं।’’
इसमें कहा गया, ‘‘आरटीआई के विश्लेषण से स्थान के आधार पर मृत्यु दर में अहम असमानता का पता चलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आरटीआई से होने वाली मौतों का खामियाजा भुगतना पड़ता है, जहां 67.8 प्रतिशत मौतें होती हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 32.2 प्रतिशत है। इसके अलावा, डेटा से पता चलता है कि खुले क्षेत्र और आवासीय क्षेत्र विशेष रूप से खतरनाक हो सकते हैं, जहां अन्य स्थानों की तुलना में मृत्यु दर अधिक हो सकती है।’’
राष्ट्रीय राजमार्ग की देश में कुल सड़कों में हिस्सेदारी महज 2.1 प्रतिशत है लेकिन सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं इसी हिस्से पर होती है। वर्ष 2022 में प्रति 100 किमी पर 45 लोगों की जान इनके कारण गई।
तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली, जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहांस) के सहयोग से किया जा रहा है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसे सह-प्रायोजित कर रहा है।
भाषा धीरज